करीब 70 हजार बच्चे दिल्ली में रहते हैं फुटपाथ पर

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 02:16 PM

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देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक करीब 70 हजार बच्चे फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं जबकि केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम में इनकी संख्या सबसे कम करीब 150 बच्चे सड़कों पर गुजर बसर करते हैं।

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक करीब 70 हजार बच्चे फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं जबकि केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम में इनकी संख्या सबसे कम करीब 150 बच्चे सड़कों पर गुजर बसर करते हैं। केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने आज लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार के पास फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है। सरकार के पास निराश्रित ,अनाथ और परित्यक्त बच्चों की गणना करने की कोई निश्चित प्रक्रिया नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि दो गैर सरकारी संगठनों‘डॉन बॉस्को नैशनल फोरम’और‘यंग एट रिस्क’की ओर से देश के 16 शहरों में 2013 में कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार महानगरों में सबसे ज्यादा बच्चे फुटपाथों पर रहते हैं।
 

दिल्ली में सबसे ज्यादा 69976 बच्चे ,मुंबई में 16059,कोलकाता में 8287 ,चेन्नई में 2374 और बेंगलूरु में 7523 बच्चे फुटपाथ पर रहते हैं। इसके अलावा ऐसे बच्चों की संख्या गुवाहाटी में 5534,हैदराबाद में 1797,चंड़ीगढ़ में 2323,दीमापुर में 2455,इफाल में 851,शिलंग में 872,विजयवाड़ा में 2238,सेलम में 5752,गोवा में 1287 और बड़ौदा में 2428 है। गांधी ने कहा कि ऐसे बच्चों की पहचान करने और उकने पुनर्वास के लिए तथा बाल तस्करी और आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शेाषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए राज्यों और गैर सरकारी संगठनों की मदद से मंत्रालय की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।


उन्होंने इस संदर्भ में खासतौर से चाइल्ड हेल्पलाइन और ई बॉक्स सेवाओं का जिक्र करते हुए कहा के बच्चों के खिलाफ अपराधों और यौन उत्पीडऩ की घटनाओं को रोकने में ये काफी मददगार साबित हुए हैं।  गांधी ने कहा कि चाइल्ड हेल्पलाइन और ई बॉक्स पर मिलने वाली शिकायतों पर फौरन कार्रवाई की जाती है।  

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