शीतकालीन सत्र से गायब रहे केजरी,थाना लेवल समिति पर होगी फिर जंग

Edited By ,Updated: 19 Jan, 2017 12:05 PM

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दिल्ली विधानसभा का बुलाया गया दो दिवसीय शीतकालीन सत्र बुधवार को संपन्न हो गया। माना जा रहा था कि इस सत्र में वर्तमान वित्तीय वर्ष का परिवर्तित बजट पास किया जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ।

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का बुलाया गया दो दिवसीय शीतकालीन सत्र बुधवार को संपन्न हो गया। माना जा रहा था कि इस सत्र में वर्तमान वित्तीय वर्ष का परिवर्तित बजट पास किया जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस सत्र के आयोजन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह समझ में नहीं आया कि यह सदन किसलिए बुलाया गया। न ही कोई बिल आया और न ही कोई विधायी कार्य पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि क्या सदन का आयोजन गाली-गलौच के लिए किया गया। सदन में सवालों के जवाब नहीं दिए गए। सदन में सत्ता पक्ष के आधे के करीब विधायक नदारद थे, वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी सदन में नहीं आए। बहरहाल सदन में कई मुद्दे उठे। 

राजधानी में बढ़ रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जल्द उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच जंग शुरू हो सकती है। पूर्व एलजी ने थाना लेवल समिति की जगह जिला लेवल समिति का गठन किया था। इस पर गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने सदन में बताया कि जिला लेवल समिति की बैठक तीन माह में एक बार होती है। ऐसे में एक थाने के पास महज तीन मिनट का समय आता है। इतने कम समय में कैसे अपराध को कम किए जा सकते हैं। नए उपराज्यपाल से जल्द ही इस दिशा में चर्चा कर थाना लेवल समिति बनवाई जाएगी। राजधानी में अनाथों को भी दिल्ली सरकार विवाह के लिए आर्थिक सहायता देने का विचार कर रही है। संभावना है कि जल्द ही इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट और विधानसभा से मंजूरी दिलाई जाए।

दरअसल बुधवार को विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल के दौरान आप विधायक महेंद्र गोयल के सवालों का जबाव देते हुए उपमुख्यमंत्री व राजस्व मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बारे में आश्वासन दिया। गोयल ने आरोप लगाया कि अधिकारियों की मनमानी व लापरवाही के कारण आवेदन करने वाली विधवाओं को समय पर आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती। कई बार आवेदन प्रक्रिया में इतना समय बित जाता है कि उक्त विधवा को पैसे ही नहीं मिल पाते। इस पर सिसोदिया ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। सरकार के तरफ  से आर्थिक सहायता के तौर पर 30 हजार रुपए तक की मदद मिलती है। यदि इस राशि के लिए भी विधवा को परेशान होना पड़े तो ठीक नहीं। यदि कोई अधिकारी ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ  कड़ी कार्रवाई होगी।

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