सीएम नीतीश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाया 20 हजार का जुर्माना, जानिए क्यों

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 10:57 AM

delhi high court  jnu  nitish kumar

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व शिक्षाविद से नेता बने एक व्यक्ति द्वारा कापीराइट के उल्लंघन पर एक कानूनी वाद से बिहार के मुयमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध खारिज कर दिया और उन पर बीस हजार रूपये का जुर्माना...

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व शिक्षाविद से नेता बने एक व्यक्ति द्वारा कापीराइट के उल्लंघन पर एक कानूनी वाद से बिहार के मुयमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध खारिज कर दिया और उन पर बीस हजार रूपये का जुर्माना लगाया।  संयुक्त रजिस्ट्रार संजीव अग्रवाल ने बुधवार को आदेश पारित करते हुए कहा कि आवेदन कानून की प्रक््िरया का दुरूपयोग है क्योंकि याचिकाकर्ता :शिक्षाविद: को प्रतिवादी चुनने का हक है।  अपने कानूनी वाद में पूर्व जेएनयू छात्र अतुल कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि पटना स्थित Þएशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट Þ द्वारा अपने सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता के जरिये और कुमार के अनुमोदन से प्रकाशित पुस्तक उनके शोध कार्य का चुराया हुआ संस्करण है।  

मुख्यमंत्री ने अपने आवेदन में कहा कि उनका अन्य प्रतिवादियों और पुस्तक Þस्पेशल कैटेगरी स्टेटस: ए केस फार बिहार Þ से किसी तरह का प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध नहीं है। कुमार का तर्क था कि उन्होंने इस पुस्तक को केवल अनुमोदित किया है, लिखा नहीं है।  बिहार के मुयमंत्री ने कहा कि वाद को लेकर उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और उन्हें Þ Þद्वेषपूर्ण Þ Þ मंशा से शर्मिंदा करने के लिए पक्षकार बनाया गया है।  संयुक्त रजिस्ट्रार ने कुमार की दलीलों को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि शिक्षाविद के जेएनूय के दो सुपरवाइजरों ने उनकी कृति को वास्तविक होने के लिए प्रमाणित किया है और इसे पुस्तक का विमोचन होने से एक दिन पहले 14 मई 2009 को विमोचित किया गया।  

उन्होंने कि तथ्य प्रतिवादी संया एक (कुमार) के खिलाफ याचिकाकर्ता (सिंह) को मुकदमा करने का अधिकार देने के लिए पर्याप्त हैं।  संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि कुमार के खिलाफ मुकदमा करने के पर्याप्त आधार हैं।  उन्होंने कहा कि (नीतीश कुमार द्वारा) वर्तमान अंतरिम आवेदन कानून की प्रक््िरया का दुरूपयोग है। इसे बीस हजार रुपए के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है।  कुमार के वकील ने कहा कि आदेश को उच्च न्यायालय की उचित पीठ के सामने चुनौती दी जाएगी। 

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