प्रकाशित ही नहीं हुई जीवनी पर कॉपीराइट कैसे लागू हो सकता है: HC

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 04:43 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए एक सैनिक के परिजन से सवाल किया है कि किसी व्यक्ति, भले ही वह युद्ध का हीरो हो, की जीवन गाथा पर कॉपीराइट कैसे लागू हो सकता है जब वह प्रकाशित ही नहीं हुई हो। इस शहीद की जीवन गाथा के आधार पर...

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए एक सैनिक के परिजन से सवाल किया है कि किसी व्यक्ति, भले ही वह युद्ध का हीरो हो, की जीवन गाथा पर कॉपीराइट कैसे लागू हो सकता है जब वह प्रकाशित ही नहीं हुई हो। इस शहीद की जीवन गाथा के आधार पर एक फिल्म बनाई जा रही है।  शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह रावत, जिन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था, के परिजन उनके बारे में बनाई जा रही फिल्म के विरोध में हैं। उनकी दलील है कि फिल्म की कहानी कॉपीराइट और उनकी निजता का उल्लंघन है। 

 न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रकाशित ही नहीं हुए काम पर कोई कॉपीराइट कैसे हो सकता है, चाहे वह किसी युद्ध के हीरो की जीवन गाथा ही क्यों न हो।’’  बहरहाल, न्यायाल ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय कर दी ।   याचिकाकर्ता विजय सिंह रावत, जो शहीद के भाई हैं, को अगली सुनवाई में बताना होगा कि उन्हें जीवन गाथा पर आधारित फिल्म नहीं बनाने की मांग करने का क्या हक है।  विजय की दलील है कि न तो परिजन की सहमति ली गई, न ही उन्हें या केंद्र सरकार को फिल्म की पटकथा दिखाई गई जबकि सरकार ने पटकथा दिखाने को कहा था।  

इससे पहले उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि फिल्म की शूटिंग रोक दी जाए, क्योंकि जमानत पर रिहा किए गए बलात्कार के एक आरोपी को थलसेना के हीरो, जो 4 गढ़वाल राइफल्स में राइफलमैन के पद पर थे, की भूमिका में दिखाया जा रहा है। 

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