Edited By ,Updated: 03 Jun, 2016 08:11 PM
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरॉमेंट सीएसई ने आज कहा कि दिल्ली की प्रदूषण की समस्या ‘‘खत्म होने से कहीं दूर’’ है। सीएसई ने यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि ...
नई दिल्ली: सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरॉमेंट सीएसई ने आज कहा कि दिल्ली की प्रदूषण की समस्या ‘‘खत्म होने से कहीं दूर’’ है। सीएसई ने यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि उसके विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि हर रोज दूसरे राज्यों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले वाहनों की संख्या हर साल दिल्ली में पंजीकृत होने वाले वाहनों की कुल संख्या के करीब है।
सीएसई की आेर से वास्तविक समय में किए गए सीमा पार यातायात सर्वेक्षण में कहा गया कि बाहर से आने वाले निजी एवं यात्री वाहन कुल प्रदूषक भार टोटल पार्टिकुलेट लोड के 22 फीसदी हैं जो दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण के उपायों को न सिर्फ बेअसर कर रहे हैं बल्कि पार्किंग सुविधाओं के लिए जमीन की भारी मांग भी पैदा कर रहे हैं।
संस्था ने कहा कि ट्रकों से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाना अच्छा कदम है, लेकिन ये दिल्ली के लिए काफी नहीं है क्योंकि ये कारों के लिए एक ‘‘प्रदूषण हाइवे’’ है। सीएसई ने कहा कि दिल्ली में अब भी डीजल ईंधन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में हर रोज दाखिल होने वाली डीजल कारों, टैक्सियों और एसयूवी की कुल संख्या 2014-15 के दौरान दिल्ली में पंजीकृत हुए डीजल वाहनों की संख्या का ढाई गुना है। सीएसई ने दावा किया कि एनसीआर में आक्रामक तौर पर सार्वजनिक परिवहन संपर्क को बढ़ाने की बजाय केंद्र और राज्य सरकारें दोनों शहर की सड़कों को हाइवे और एलिवेटेड कॉरिडोरों में बदलने की योजना बना रही है ताकि दिल्ली से और ज्यादा निजी वाहन गुजर सके।