डोकलाम विवाद पर भारत ने 20 देशों के राजदूतों के सामने रखा अपना पक्ष

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 07:45 AM

dokalaam  india has kept its side in front of ambassadors of 20 countries

सिक्किम से लगे भारत-चीन और भूटान के त्रिसंगम के इलाके में भारत और चीन के बीच सैन्य तनातनी के मसले पर भारतीय विदेश सचिव एस.जयशंकर ने यहां 20 से अधिक प्रमुख देशों के राजदूतों को पूरी जानकारी दी है।

नई दिल्ली ( रंजीत कुमार ):  सिक्किम से लगे भारत-चीन और भूटान के त्रिसंगम के इलाके में भारत और चीन के बीच सैन्य तनातनी के मसले पर भारतीय विदेश सचिव  एस.जयशंकर ने यहां 20 से अधिक प्रमुख  देशों के राजदूतों को पूरी जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा इस बारे में पेइचिंग में विदेशी राजदूतों को जानकारी दिए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी विदेशी राजदूतों को भरोसे में लेने का कदम उठाया है। 

26 को चीन जाएंगे डोभाल
उल्लेखनीय है कि पेइचिंग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने अजीत डोभाल 26 जुलाई को चीन पहुंचेंगे। उनके साथ जयशंकर भी चीन जा रहे हैं। यहां राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस बैठक में शामिल एक विदेशी राजनयिक के मुताबिक  जयशंकर ने राजदूतों को बताया कि किन हालात में डोकलाम में भारतीय सैनिकों को भेजना पड़ा।

चीन ने तोड़ा 2012 का समझौता
राजनयिक के मुताबिक जयशंकर ने बताया कि डोकलाम के  इलाके में चीनी सेना की एक सड़क बनाने वाली टीम को रोकने के अलावा भारत के पास कोई चारा नहीं था। चीन ने इस तरह त्रिसंगम के इलाके में यथास्थिति को भंग करने की कोशिश की। इस बारे में तीनों देशों के बीच 2012 में एक सहमति हुई थी लेकिन चीन ने इसका उल्लंघन करते हुए डोकलाम से होकर त्रिसंगम के इलाके तक अपनी स्थायी मौजूदगी सुनिश्चित करने की कोशिश की । चीन का यह कदम भारत के लिए गम्भीर सुरक्षा खतरा पैदा करता इसलिए भारत ने चीनी सैनिकों को रोका। विदेश सचिव ने यह सफाई भी दी कि भारतीय सेना भूटान के इलाके में भूटान की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए गई है। भारत और भूटान के बीच इस आशय की संधि है।

राजनयिक  बातचीत से हल होगा मसला
विदेशी राजनयिकों से बातचीत में विदेश सचिव ने भरोसा जाहिर किया कि यह मसला राजनयिक  बातचीत से हल हो जाएगा। विदेशी राजनयिकों को यह भी बताया गया कि पिछले सालों में भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति का माहौल है और ताजा विवाद को भी भारत और चीन शांतिपूर्वक बातचीत से हल कर लेंगे। दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद पर कुछ राजनयिकों ने सवाल भी किए। जयशंकर के कहे जाने पर कि भूटान के डोकलाम इलाके में भारत भूटान के कहने पर गया, एक राजनयिक ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की कि यदि जम्मू-कश्मीर के इलाके में चीन अपनी सेना यह कह कर भेजता है कि पाकिस्तान ने उसे निमंत्रित किया था तब इसके  क्या परिणाम निकलेंगे।

सुषमा के बयान को चीन ने बताया झूठ
उल्लेखनीय है कि  पिछले सप्ताह राज्यसभा में अपने बयान में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दावा किया था कि सभी देश डोकलाम मसले पर भारत की नीति से सहमत हैं। विदेश मंत्री ने संसद में यह भी  कहा था कि डोकलाम इलाके से भारत और चीन दोनों देशों के सैनिकों को एक साथ पीछे हटना होगा। लेकिन चीन ने सुषमा के बयान को झूठा बताते हुए कहा था कि जब तक भारत डोकलाम इलाके से अपनी सेना एकपक्षीय तौर पर नहीं हटाएगा तब तक  भारत के साथ कोई बातचीत नहीं होगी।

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