चुनाव आयोग को ताकतवर बनाने वाले टीएन शेषन ऐसी जिंदगी जीने को हैं मजबूर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 01:55 PM

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देश को चुनाव आयोग में बेहतरीन सुधार और उसे ताकत देने वाले टीएन शेषन को सभी याद करते हैं। लेकिन आज पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन गुमनामी की जिदंगी जी रहे हैं। अब वह कभी अपने सघर में तो कभी घर से 50 किलोमीटर दूर ओल्ड एज होम में रहते हैं।

नई दिल्ली: देश को चुनाव आयोग में बेहतरीन सुधार और उसे ताकत देने वाले टीएन शेषन को सभी याद करते हैं। लेकिन आज पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन गुमनामी की जिदंगी जी रहे हैं। अब वह कभी अपने सघर में तो कभी घर से 50 किलोमीटर दूर ओल्ड एज होम में रहते हैं। 
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शेषन ने 90 के दशक में चुनाव आयोग कार्यभार संभाला था। तब बिहार में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती होता था। चुनाव में हिंसा, बूथ कैप्चरिंग और कई तरह की दूसरी गड़बड़ियों के मामले सामने आते थे। ऐसे में शेषन के लिए निष्पक्ष चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती थी। शेषन ने इसे चुनौती को लेते हुए बदली हुई रणनीति के तहत बिहार में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराई। निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार उन्होंने चरणों में वोटिंग कराने की परंपरा शुरू की। पांच चरणों में बिहार का विधानसभा चुनाव कराया। वह चुनाव मील का पत्थर बना था। बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त शेषन अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव में नहीं रहे और हमेशा निष्पक्ष चुनाव कराने के एजेंडे पर काम करते है।
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85 साल के शेषन सत्य साईं बाबा के भक्त रहे हैं। 2011 में जब साईं बाबा ने देह त्याग किया तो तब वह टूट और सदमे में चले गए थे। करीबियों के अनुसार, 'उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। ऐसे में रिश्तेदारों ने उन्हें चेन्नै के एक बड़े ओल्ड एज होम 'एसएसम रेजिडेंसी' में शिफ्ट करवा दिया। तीन साल बाद सामान्य होने के बाद अपने फ्लैट में रहने आ गए। लेकिन अभी भी वह कई दिनों के लिए ओल्ड एज होम चले जाते हैं।' 

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