बच्चों के दिलों में बैठा 'मोदी सूई' का डर, स्कूल छोड़ कर भागे

Edited By ,Updated: 07 Mar, 2017 03:53 PM

fear of   modi sui   in the children

नरेंद्र मोदी की छवि ऐसे पीएम की जिनसे बड़े से लेकर बच्चे तक बेझिझक अपनी बात कहते हैं लेकिन इन दिनों राजस्थान के अलवर-भरतपुर जिलों के मेवात इलाके के बच्चे मोदी के नाम से इतने डर गए हैं कि वे स्कूल तक जाने से मना कर रहे हैं।

जयपुर: नरेंद्र मोदी की छवि ऐसे पीएम की जिनसे बड़े से लेकर बच्चे तक बेझिझक अपनी बात कहते हैं लेकिन इन दिनों राजस्थान के अलवर-भरतपुर जिलों के मेवात इलाके के बच्चे मोदी के नाम से इतने डर गए हैं कि वे स्कूल तक जाने से मना कर रहे हैं। दरअसल सरकारी टीकाकरण की वजह से अफवाह फैल गई है कि सरकार मुस्लिम इलाकों में बंध्याकरण की सूई दे रहे ही है। इसकी वजह से पूरे इलाके के स्कूलों में दहशत है। दहशत का आलम इतना ही कि जब मीडिया के कुछ कर्मी इसकी सच्चाई जानने स्कूल पहुंचे तो बच्चों में भगदड़ मच गई। सभी तरफ शोर पड़ गया कि बांझ करने की सूई लगाने वाले आ गए हैं।

बच्चों के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था। हालांकि इस अफवाह का कोई आधार नहीं है। जिले के उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. छबील कुमार के मुताबिक हमने बीमारियों से छुटकारे के लिए टीकाकरण का अभियान चला रखा है, लेकिन इलाके में अफवाह फैल गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम इलाके में बच्चों-बच्चियों को बेऔलाद करने की सूई भेजी है। इस वजह से पूरा टीकाकरण अभियान ही इन इलाकों में फेल हो गया है। इसे लोग 'मोदी की सूई' कह रहे हैं। वहीं बच्चों के परिजनों का कहना है कि इस माहौल ने बच्चों को डरा दिया है। वे नहीं जानते कि देश-दुनिया में क्या चल रहा है लेकिन बच्चे कहते हैं कि स्कूल जाने से टीका लग सकता है, लिहाजा घर में ही रहना ठीक है।

मेवात में कई साल से शिक्षा का अलख जगा रहे सामाजिक कार्यकर्ता नूर मोहम्मद इस मंजर से बहुत दुखी हैं। उन्हें लगता है कि इतने सालों की मेहनत पर पानी फिर सकता है। नूर मोहम्मद 317 गांवों में शिक्षा का स्तर सुधारने का बीड़ा उठाए हुए हैं। उन्हें हैरत है कि इस अफवाह को रोकने का सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया गया है। दरअसल मेवात इलाका मुस्लिम बहुल है, जहां शिक्षा नहीं के बराबर है। वहीं स्कूल प्रशासन को समझ नहीं आ रहा कि ऐसे हालात से कैसे निपटें। स्कूल की प्राचार्या पुष्पा कुंदनानी कहती हैं, 'स्कूल में हाजरी 10 से 20 % रह गई है। बच्चे स्कूल आते नहीं और आते भी हैं, तो अभिभावक वापिस ले जाते हैं।

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