'निर्भया कांड' के 5 साल, आज भी नहीं सुधरे हालात

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Dec, 2017 03:54 PM

fifth year of the nirbhaya case know how safe women

16 दिसंबर को लोग जब भी याद करते हैं तो दिल्ली के ‘निर्भया कांड’ के जख्म ताजा हो जाती है। उस रेप कांड को भले ही 5 साल हो गए हों लेकिन उस घटना की दर्द भरी यादें अभी भी लोगों के जहन में जिंदा है। देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में हुई गैंगरेप की...

नेशनल डेस्क: 16 दिसंबर को लोग जब भी याद करते हैं तो दिल्ली के ‘निर्भया कांड’ के जख्म ताजा हो जाती है। उस रेप कांड को भले ही 5 साल हो गए हों लेकिन उस घटना की दर्द भरी यादें अभी भी लोगों के जहन में जिंदा है। देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में हुई गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। जिसके 13 दिनों बाद पीड़ित निर्भया जिंदगी की जंग हार गई थी। इस घटना के बाद देशभर के लोग सड़कों पर उतर आए थे और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की गई थी। 

इस घटना के बाद सरकार ने भी कई कड़े कानून बनाए। तो सवाल यह उठता है कि क्या सरकार के इस कदम के बाद रेप के मामलों में कोई कमी आई तो जवाब यह है कि घटना के 5 साल बाद भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं से छेड़छाड़ और रेप का सिलसिला जारी है। आज भी महिला रात में बाहर जाने से डरती है, आज भी अपराधी आराम से घूम रहे हैं, रेप कर रहे हैं। 
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नियमों की उड़ रही धज्जियां
दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के दावों के मुताबिक राजधानी के प्रत्येक थाने में जितने पद हैं उसके तहत एक तिहाई महिला पुलिसकर्मी की तैनाती होनी चाहिए। ये नियम भी है, लेकिन मौजूदा समय में केवल 72 थानों में ही इन मानकों का पालन है, जबकि अन्य थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 4 से 10 प्रतिशत की ही हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि हर थाने में कम से कम 15-15 महिला पुलिसकर्मियों की संख्या हो जाएगी, लेकिन दावे सिफर साबित हुए। वर्तमान में थानों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 8-9 तक है। उसमें भी आधी मातृत्व व अन्य घरेलू कारणों से अवकाश पर रहती हैं। जिससे थानों के संचालन में भी दिक्कत होती है। 

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दिल्ली में वर्ष 2017 में हुई दुष्कर्म की बड़ी घटनाएं 
10 सितम्बर 2017 गांधी नगर के टैगोर पब्लिक स्कूल में 5 साल की बच्ची से चपरासी ने किया रेप 
15 नवम्बर 2017 पंजाबी बाग इलाके में 9 साल की बच्ची घर पर अकेली थी पड़ौसी ने किया दुष्कर्म 
14 नवम्बर 2017 अमन विहार इलाके में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म की वारदात हुई। आरोपी कमरे में आया और बच्ची को चॉकलेट आदि देने के बहाने 11 के अपने कमरे में लेकर चला गया। फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। 
11 नवम्बर 2017 हौजखास इलाके में डेढ़ साल की बच्ची के पिता के दोस्त ने दुष्कर्म किया। बच्ची को अकेला पाकर संतोष ने उससे दुष्कर्म किया। 
15 अप्रैल 2017  गांधी नगर इलाके में पांच साल की एक मासूम बच्ची के साथ उसी के घर के पास गैंगरेप हुआ था। गुम होने के करीब 40 घंटे बाद बच्ची उसी इलाके में बने एक किराए के घर में बुरी हालत में मिली थी।
12 अक्तूबर 2017  सुदरनगरी इलाके में सात वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। 
14 मार्च 2017 पांडव नगर इलाके में नेपाली मूल की 30 साल की महिला के साथ गैंगरेप हुआ। महिला ने विरोध किया तो उसकी पिटाई की और उसके कपड़े उतार दिए। 

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एनसीआरबी का डाटा बयां करता हकीकत
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में दिल्ली में देश के 19 प्रमुख शहरों के मुकाबले सबसे अधिक अपराध के साथ बलात्कार के भी सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय राजधानी हत्या, अपहरण, किशोरों की संलिप्तता वाले संघर्ष एवं आर्थिक अपराधों के मामले में भी पहले स्थान पर रहा।  बीस लाख से अधिक की आबादी वाले 19 प्रमुख शहरों में पिछले साल महिलाओं के खिलाफ कुल 41,761 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 33 प्रतिशत यानी 13,803 मामले अकेले दिल्ली में सामने आए। इसके बाद मुंबई का नंबर आता है, जहां महिलाओं के खिलाफ करीब 12.3 फीसदी (5,128) मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 40 प्रतिशत मामले बलात्कार के थे। वहीं पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा उत्पीड़ऩ़ एवं दहेज को लेकर होने वाली मौतों का आंकड़ा 29-29 फीसदी रहा। आईपीसी से जुड़े 38.8 प्रतिशत अपराध दिल्ली में हुए। इसके बाद बेंगलुरु (8.9 प्रतिशत) और मुंबई सात प्रतिशत का नंबर आता है।  दिल्ली में अपहरण के भी सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय राजधानी में अपहरण के 5,453 (48.3 प्रतिशत), मुंबई में 1,876 (16.6 फीसदी) और बेंगलुरु में 879 (7.8 प्रतिशत) मामले दर्ज किए गए।

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