Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 09:52 PM
साल 2012 में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के जरिए अनुबंध पर ग्रेड- शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में सीबीआई ने गुरुवार को राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) और 85 अन्य...
नेशनल डेस्क: साल 2012 में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के जरिए अनुबंध पर ग्रेड- शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में सीबीआई ने गुरुवार को राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) और 85 अन्य के खिलाफ नया आरोप-पत्र दायर किया।
अधिकारियों ने बताया कि भोपाल की विशेष अदालत में दायर आरोप-पत्र में व्यापमं के तत्कालीन नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के तत्कालीन प्रधान सिस्टम एनालिस्ट नितिन मोङ्क्षहद्रा, 72 अभ्यर्थियों , व्यापमं के दो अन्य कर्मियों, शर्मा और 11 बिचौलियों को नामजद किया गया है।
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में तत्कालीन तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री शर्मा के ओएसडी ओ पी शुक्ला को भी नामजद किया गया। सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, आरोप है कि मोङ्क्षहद्रा और त्रिवेदी ने अनुबंध पर ग्रेड-शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के अंकों को बढ़ाने में मदद की।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पाया कि शर्मा ने त्रिवेदी को परीक्षा नियंत्रक नियुक्त कर दिया जबकि वह इस अहम पद के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की सूची में शामिल थे ही नहीं। अधिकारियों ने बताया कि त्रिवेदी ने मोङ्क्षहद्रा के जरिए अभ्यर्थियों के अंकों में हेरफेर करके यह एहसान चुकाया। उन्होंने अंकों में हेरफेर इस तरह की जिससे अभ्यर्थियों का चयन तय हो जाए। अभ्यर्थियों की ओर से भरी गई ओएमआर शीटों की फॉरेंसिक जांच में पता चला कि आरोपी अभ्यॢथयों के असल अंक नतीजों में दिख रहे उनके अंकों से काफी कम थे।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने बदले गए अंक-पत्रों का ब्योरा मोङ्क्षहद्रा के लैपटॉप से बरामद कर लिया है। सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘जांच में खुलासा हुआ कि लोक सेवक और अन्य निजी लोगों ने अभ्यॢथयों के क्रमांक, फार्म संख्या आदि से परीक्षा का ब्योरा कथित तौर पर इक_ा किया और वह ब्योरा व्यापमं के प्रधान सिस्टम एनालिस्ट को मुहैया करा दिया।’’
उन्होंने कहा कि उक्त प्रधान सिस्टम एनालिस्ट द्वारा प्राप्त किए गए परीक्षा के ब्योरे को कंप्यूटर पर एक डिजिटल फाइल में कथित तौर पर डाला गया, जिसमें अभ्यॢथयों का पूरा ब्योरा और उन्हें प्रायोजित करने वाले बिचौलियों की जानकारी थी। अधिकारी ने कहा कि नतीजे घोषित होने से ठीक पहले तत्कालीन प्रधान सिस्टम एनालिस्ट ने उन उम्मीदवारों के बाबत एक अन्य डेटाबेस तैयार किया जिनके अंक उसे बढ़ाने थे।