Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jun, 2017 08:40 PM
बरसात का मौसम शुरू होते ही मंदाकिनी घाटी के लोगों का आवागमन ट्रॉलियों के भरोसे संचालित होने जा रहा है। 2013 की केदारनाथ आपदा में बह चुके ...
रुद्रप्रयाग: बरसात का मौसम शुरू होते ही मंदाकिनी घाटी के लोगों का आवागमन ट्रॉलियों के भरोसे संचालित होने जा रहा है। 2013 की केदारनाथ आपदा में बह चुके चन्द्रपुरी और विजयनगर के पुल अभी तक नहीं बन पाए हैं। नदियों का जल स्थर बढऩे के कारण अस्थाई पुलों को हटाने का कार्य भी शुरू हो गया है।
स्थानीय निवासी गबरू लाल ने बताया कि 2013 की केदारनाथ आपदा में मंदाकिनी घाटी के करीब 24 पुल बह गये थे। जिसके चलते यहां आवागमन का एक मात्र सहारा ट्रॉलियां ही रह गई हैं। विजयनगर और चन्द्रपुरी के पुल सैकड़ों गांवो को जोडते है। ब्लॉक प्रमुख अगस्त्यमुनि जगमोहन रौथाण ने बताया कि आपदा के पांच साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रॉलियों के सहारे नदी पार करते हैं। गौरतलब है कि ट्रॉलियों से नदी पार करते समय कई बार हादसे भी हो चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन आज भी इन निर्माणाधीन पुलों की सुध लेने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं इन पुलों के निर्माण में देरी के चलते जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल भी लाचार नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बरसात में भी ग्रामीणों को ट्रॉली के ही जरिए आवागमन करना पड़ेगा। लेकिन इस वर्ष हादसों की रोकथाम के लिए पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे।
भले ही केदार घाटी में नेता बदलें, अधिकारी बदलें लेकिन नही बदल पाए तो आपदा के वो जख्म जिन से आज भी घाटी के लोग गुजरने को मजबूर हैं। फिर से उफनती नदियों के ऊपर तारों के जरिए जनता जान जोखिम में डालकर अवागमन के लिए विवश होना पड़ रहा है।