Edited By ,Updated: 19 Nov, 2016 01:12 PM
फॉरेस्ट विभाग की अपनी पर्यावरण कोर्ट है लेकिन अपनी बैरक नहीं। विभाग आरोपियों के खिलाफ केस तो दर्ज कर लेता है लेकिन आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेजना पड़ता है।
पंचकूला(संजय) : फॉरेस्ट विभाग की अपनी पर्यावरण कोर्ट है लेकिन अपनी बैरक नहीं। विभाग आरोपियों के खिलाफ केस तो दर्ज कर लेता है लेकिन आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेजना पड़ता है। बाकायदा वन विभाग आरोपी जेल में रखने के लिए पुलिस को लिखित में देना पड़ता है। तब जाकर पुलिस जेल में रखने की परमीशन वन विभाग को देता है। विभाग जब किसी मुजरिम को पकड़ते हैं तो उन्हें पेश करने के लिए सबसे बड़ी परेशानी उसे रात के लिए रखने में होती है। यदि वन विभाग जिला में कहीं अपनी बैरक बना ले तो बड़ी आसानी हो जाएगी।
रेंज अधिकारी की इजाजत के बिना पुलिस आरोपी को नहीं रखती जेल में :
फोरैस्ट विभाग बैरक न होने के कारण आरोपी को रखने के लिए जब विभाग पुलिस हिरासत में रखने की डिमांड करता है तो उसके लिए संबंधित क्षेत्र के रेंज अधिकारी की पुलिस परमीशन लेती है तब आरोपी को जेल में रखती है।
रात में नहीं रख सकते कस्टडी में :
वन विभाग जैसे ही किसी मुजरिम को लकड़ी चोरी या अन्य मामलों को लेकर पकड़ते हैं तो फिर उसके बाद यदि अगले दिन कोर्ट में पेश करना पड़ जाए तो फिर रात में आरोपी को अपनी कस्टडी में नहीं रख सकते क्योंकि आरोपी कहीं सुसाइड न कर ले। इसके बाद पुलिस हिरासत में आरोपी को भेज दिया जाता है।