Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jun, 2017 09:16 PM
अगर कोई विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 50 में नहीं है ......
नई दिल्ली: अगर कोई विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 50 में नहीं है या एनएएसी में उसकी खराब रैंकिंग है तो उसके द्वारा कराए जा रहे पीएचडी पाठ्यक्रम में नामांकन मिलना कठिन हो जाएगा। दरअसल यूजीसी ने इसके लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए मसौदा नियमन के मुताबिक जो संस्थान ‘‘तीसरी श्रेणी’’में आते हैं वे केवल उन्हीं उम्मीदवारों को पीएचडी करा सकेंगे जिन्होंने नेट, एसएलईटी या एसईटी परीक्षा में उतीर्ण हैं। मसौदा नियमों के मुताबिक ‘पहली श्रेणी’ का विश्वविद्यालय वह होगा जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) से 3.5 या अधिक का स्कोर हासिल है या इसने सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में लगातार दो वर्षों तक शीर्ष 50 संस्थानों में शामिल रहा हो।
विश्वविद्यालय को ‘दूसरी श्रेणी’ में रखा जाएगा अगर नैक में स्कोर 3.01 और 3.49 के बीच हो या इसने एनआईआरएफ में 51 से 100 के बीच की रैंकिंग लगातार दो वर्षों तक हासिल की हो। जो विश्वविद्यालय पहली और दूसरी श्रेणी में स्थान नहीं पा सकेंगे उन्हें तीसरी श्रेणी में स्थान मिलेगा। मसौदा में कहा गया है, ‘‘जो संस्थान तीसरी श्रेणी में हैं वहां वहीं उम्मीदवार पीएचडी कर सकेंगे जिन्होंने नेट, स्लेट या एसईटी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं।’’
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर व्याख्याता के लिए योग्यता है और इससे जूनियर रिसर्च फेलोशिप दी जाती है जबकि राज्य पात्रता परीक्षा यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की पात्रता है। यूजीसी ने इस महीने के अंत तक सभी संबंधित पक्षों से प्रस्तावित नियमन पर फीडबैक मांगा है।