BJP को उल्टा न पड़ जाए नोटबंदी का जश्न

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 11:17 AM

gujarat assembly election 2017   bjp  narendra modi

हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस दिन को विपक्ष ने काला दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है तो भाजपा उनके जवाब में कालाधन विरोधी दिवस के तौर पर जश्र करने की तैयारी में है। लेकिन नोटबंदी...

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस दिन को विपक्ष ने काला दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है तो भाजपा उनके जवाब में कालाधन विरोधी दिवस के तौर पर जश्र करने की तैयारी में है। लेकिन नोटबंदी को लेकर जो माहौल बनता दिख रहा है, चुनावी बेला में कहीं जश्र भाजपा के लिए उल्टा न पड़ जाए।

मोदी ने 8 नवंबर को की थी नोटबंदी की घोषणा 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी। नोटबंदी को शुरुआत में जिस तरह से आम लोगों का समर्थन मिला था, अब उसके परिणाम सामने आने के बाद नाराजगी नजर आने लगी है। खासकर नौकरीपेशा, व्यापारी, कारोबारी और छोटे-मझोले उद्यमी। नोटबंदी के बाद एक तरह की मंदी का दौर है। ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि तमाम रोजगार खत्म हो रहे हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है और कई छोटे-मझोले उद्योग चौपट हो गए हैं। नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार ने 7.5 फीसदी जीडीपी लक्ष्य रखा था, वास्तविक आंकड़ा इस साल जब आया तो साढ़े पांच फीसद निकला। 

चुनाव के परिणाम पर दिख सकता है नोटबंदी का असर
जीडीपी गिरने की आशंका न केवल विपक्ष ने बल्कि तमाम आर्थशास्यिों ने पहले ही की थी। उनकी आशंकाएं सच हुईं। नोटबंदी के खिलाफ बन रहे माहौल को विपक्ष भुनाने की जुगत में है। इसी रणनीति के तहत 8 नवंबर को नोटबंदी के खिलाफ काला दिवस मनाने का फैसला किया है। यह इत्तेफाक ही है कि 9 नवंबर को यानि नोटबंदी वाले दिन के ठीक दूसरे दिन हिमाचल में मतदान है और उसके अगले सप्ताह गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होंगे। अगर विपक्ष नोटबंदी के खिलाफ बने माहौल को गरमाने में कामयाब हुआ तो चुनाव के परिणाम पर भी इसके असर दिखने तय हैं। 

जीएसटी के कारण परेशान है व्यापारी वर्ग 
यही कारण है कि भाजपा नोटबंदी वाले दिन को कालाधन विरोधी दिवस के तौर पर जश्र मना विपक्ष के विरोध की धार कुंद करना चाहती है, ताकि लोगों का ध्यान बंट जाए। लेकिन जानकार मानते हैं कि यह भाजपा के लिए उल्टा दांव भी साबित हो सकता है। दरअसल, नोटबंदी के दुष्परिणाम दिखने शुरू ही हुए थे कि केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू कर दी। नई व्यवस्था से वाकिफ नहीं होने के कारण व्यापारी वर्ग परेशान है। पहले जहां उसका कारोबार नोटबंदी की भेंट चढ़ा, वहीं जीएसटी ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया है। आम लोगों के साथ ही कारोबारी-व्यापारी, उद्यमी इस वक्त काफी खफा दिख रहे हैं।
 

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