भाजपा के खिलाफ फ्रंटफुट पर खेल रहे राहुल गांधी!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 11:01 AM

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विधानसभा चुनावों में बदले-बदले से नजर आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का आत्मविश्वास अध्यक्ष की कुर्सी मिलने की उम्मीदों के बीच सातवें आसमान पर है। पिछले कुछ माह में न सिर्फ राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा है, बल्कि पार्टी में भी उनकी...

नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों में बदले-बदले से नजर आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का आत्मविश्वास अध्यक्ष की कुर्सी मिलने की उम्मीदों के बीच सातवें आसमान पर है। पिछले कुछ माह में न सिर्फ राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा है, बल्कि पार्टी में भी उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है। वहीं गुजरात चुनाव में भाजपा पर राहुल के हमले भी तीखे होते जा रहे हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार समझ चुके हैं कि दिल्ली का रास्ता गुजरात से होकर ही गुजरेगा। यदि गुजरात में फतह मिलती है तो इसका संदेश पूरे देश में जाएगा। यही वजह है कि मोदी और भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने शुरू से ही फ्रंटफुट पर बैटिंग की है। जिसका असर गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान में दिख रहा है, हालांकि राज्य में बह रही बदलाव की लहर में राहुल गांधी अपनी पार्टी को कितनी सफलता दिला पाते हैं यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे। 

कांग्रेस में फूंकी जान 
राहुल गांधी ने गुजरात में वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस में जान डाल दी है।  राहुल ने नवसृजन यात्रा से गुजरात कांग्रेस में जोश भर दिया है। राहुल की अगुवाई में सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक कांग्रेस कार्यकर्ता जोश से लबरेज हैं। पिछले 22 सालों में पहली बार गुजरात में कांग्रेस पूरे आत्मविश्वास से भरी है और बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रही है।

जातीय कार्ड में भाजपा को उलझाया
गुजरात में राहुल गांधी ने मोदी के उस ट्रंप कार्ड की काट खोजी, जिसने 2014 में कांग्रेस पटखनी दी थी। यानी हिंदू कार्ड का जवाब जातीय कार्ड से, बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल बात यह है कि जातिगत राजनीति उसे रास नहीं आती है। बिहार का विधानसभा चुनाव इसका उदाहारण है, यही वजह है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार की तर्ज पर गुजरात के सियासी रण को जीतने के लिए जातीय कार्ड में भाजपा को उलझाया है। नवसजृन यात्रा के जरिए पाटीदार, आदिवासी, दलित, ओबीसी समेत सभी समुदाय के बीच पहुंचकर अपनी पकड़ को मजबूत बनाई है।

त्रिमूर्ति से भी बढ़ गई ताकत
राहुल गांधी ने गुजरात में जाति आंदोलन से निकली त्रिमूर्ति अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक को गले लगाया है। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर बकायदा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने समर्थन का ऐलान किया है। तीनों युवा नेताओं की गुजरात में अपने समाज में अच्छी खासी पकड़ है। इससे गुजरात में कांग्रेस की न सिर्फ ताकत बढ़ गई है, बल्कि भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर नजर आ रही है।

सॉफ्ट हिंदुत्व को बनाया हथियार
बीजेपी ने करीब बीस साल पहले हिंदुत्व कार्ड के जरिए कांग्रेस से सत्ता छीनी थी। कांग्रेस आज तक गुजरात में वापस सत्ता में नहीं आ सकी। राहुल गांधी बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति के हथियार से ही उसे मात देने की जुगत में हैं। गुजरात में राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ी है। नवसृजन यात्रा की शुरुआत सौराष्ट्र के द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की। इसके बाद गुजरात में राहुल ने चारों यात्राओं के दौरान करीब दो दर्जन मंदिरों में दर्शन और माथा टेका। गुजरात में राहुल गले में भगवा दुपट्टा डाले और माथे पर तिलक लगाए नजर आए थे।

टिकट बंटवारे में संतुलन
कांग्रेस गुजरात में टिकट बंटवारे में पूरा संतुलन बनाकर चल रही है,  कांग्रेस ने अब 90 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें सभी समुदाय के लोगों का ध्यान रखा है। कांग्रेस ने 25 पटेल, 12 उम्मीदवार कोली, 12 ओबीसी और 7 दलित समुदाय से हैं।

मुस्लिमों से दूरी
गुजरात में राहुल गांधी मुसलमानों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में होनी वाली कांग्रेस की रैलियों में राहुल के साथ संत महंत मंच पर नजर आते हैं। राहुल का काफिला जिस रास्ते से गुजरता है उस रास्ते में पडऩे वाली किसी मस्जिद पर न वो रुकते हैं और नहीं माथा टेकते हैं। राहुल अभी तक की गुजरात यात्रा में मुस्लिमों के मुद्दे पर बोलने से बचते रहे हैं। दरअसल राहुल इस बार भाजपा को हिन्दुत्व के नाम पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण का कोई भी मौका नहीं देना चाहते हैं। इसके अलावा रणनीतिकार भी यह अच्छी तरह समझते हैं कि मुस्लिम मतदाताओं के सामने कांग्रेस के आलावा कोई और विकल्प नहीं है। ऐसे में यदि वह भाजपा के वोटबैंक में सेंध लगाने में सफल रहते हैं तो गुजरात की सत्ता कांग्रेस के लिए आसान हो जाएगी।

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