गुजरात में घोड़ा रखने पर दबंगों ने कर दी दलित युवक की हत्या

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 31 Mar, 2018 11:01 AM

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गुजरात के भावनगर जिले में 21 साल के दलित युवक की केवल इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वो दलित था और उसे घुड़सवारी का शौक था। हत्या का आरोप कथित तौर पर सवर्णों पर है। मृतक प्रदीप राठौड़ के घुड़सवारी का शौक था जो स्थानीय सवर्णों को पसंद नहीं था। तथाकथित...

नेशनल डेस्क: गुजरात के भावनगर जिले में 21 साल के दलित युवक की केवल इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वो दलित था और उसे घुड़सवारी का शौक था। हत्या का आरोप कथित तौर पर सवर्णों पर है। मृतक प्रदीप राठौड़ के घुड़सवारी का शौक था जो स्थानीय सवर्णों को पसंद नहीं था। तथाकथित उच्च जाति के लोगों ने प्रदीप राठौड़ के परिवार को कई बार धमकी भी दी थी। जिस वक्त घटना हुई उस वक्त युवक घोड़े पर बैठकर अपने खेत से घर लौट रहा था। मृतक के परिवार ने आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर दबाव बनाया जिसके बाद उमराला पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

घोड़ा खरीदने पर ​मिली थी धमकी
मृतक के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में लिखा है कि जब उन्होंने प्रदीप के लिए 30 हजार रुपए में घोड़ा खरीदा तब नाटुभा दरबार और उसके दोस्तों ने उन्हें धमकी दी थी। प्रदीप लंबे समय से अपने पिता घोड़ा लेने की जिद कर रहा था। उमराला पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नाटुभा दरबार और दो अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि हत्या से एक सप्ताह पहले उनके परिवार को धमकी मिली थी। उन्होंने कहा, 'उन लोगों ने कहा कि दलितों को घुड़सवारी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि टिम्बी और आसपास के इलाकों में किसी दलित के पास घोड़ा नहीं है।' टिम्बी की जनसंख्या 5000 है जिनमें से अधिकतर दरबार और क्षत्रिय हैं। गांव में करीब 40 दलित परिवार रहते हैं।

मां की तरह से घोडे़ की करता था देखभाल 
प्रदीप के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भावनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन उसके परिजनों ने कहा है कि वे लोग वास्तविक दोषियों की गिरफ्तारी तक शव स्वीकार नहीं करेंगे। कालूभाई ने कहा, 'मैं अपने बेटे को बाइक दिलाना चाहता था लेकिन उसने घोड़ा खरीद लिया।' उन्‍होंने कहा, 'बचपन से ही वह शादियों में घोड़ों को देखता था और उन्‍हें प्‍यार करता था। सात महीने पहले ही उन्‍होंने घोड़ा खरीदा था। वह अक्‍सर अपने घोड़े को ट्रेनिंग देता था और एक मां की तरह से उसकी देखभाल करता था। वह अक्‍सर घोड़े की सवारी करता था। हत्‍यारों ने केवल इसलिए इस हत्‍याकांड को अंजाम दिया क्‍योंकि वे सोचते थे कि उन्‍हें ही घोड़े की सवारी करने का अधिकार है, दलितों को नहीं।' 

गुजरात में पहले भी हुए हैं दलितों पर अत्‍याचार 
कालूभाई ने कहा, 'एक दिन मेरे बेटे ने खतरे के बारे में बताया था। इसके बाद मैंने धमकी देने वाले एक शख्‍स के रिश्‍तेदार से बात की थी और अनुरोध किया था कि इस मामले को खत्‍म किया जाए। हमने 30 हजार रुपये देकर घोड़ा खरीदा था। उन्‍हें क्‍यों परेशानी हो रही थी ?' भावनगर के एसी-एसटी सेल के उप पुलिस अधीक्षक एएम सैयद ने कहा, ' प्रदीप की निर्दयता से हत्‍या की गई है। हमने इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।' आपको बता दें, इससे पहले भी गुजरात में दलितों के खिलाफ अत्‍याचार की कई घटनाएं हो चुकी हैं। कुछ महीने पहले ही ऊना में कथित गोरक्षकों ने दलित परिवार के 7 सदस्‍यों को कोड़े से मारा था। इस घटना का विडियो वायरल होने के बाद पूरे राज्‍य में व्‍यापक प्रदर्शन हुए थे। इसी तरह से आनंद जिले में दलित युवक जयेश सोलंकी को गरबा देखने पर पीट-पीटकर मारा डाला गया था। 

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