गुजरात चुनाव: मतदान निकट आते ही सभी को याद आए ‘भगवान’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 07:09 PM

gujarat election everyone remembers god

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान निकट आ रहा है और लोगों की आखें दो मंदिरों की तरफ टिक गयी है, जो पाटीदार समुदाय के गौरव और ताकत का प्रतीक है और सदस्यों के बीच इनका बहुत प्रभाव है। राजकोट जिले का खोडलधाम मंदिर और मेहसाणा जिले का उमियाधाम...

राजकोट: गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान निकट आ रहा है और लोगों की आखें दो मंदिरों की तरफ टिक गयी है, जो पाटीदार समुदाय के गौरव और ताकत का प्रतीक है और सदस्यों के बीच इनका बहुत प्रभाव है। राजकोट जिले का खोडलधाम मंदिर और मेहसाणा जिले का उमियाधाम मंदिर विधानसभा चुनावों के लिए कराये जाने वाले मतदान से पहले राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया है।
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खोडलधाम मंदिर का निर्माण पाटीदार समुदाय की लेउवा उपजाति जबकि उमियाधाम मंदिर का निर्माण कडवा उपजाति ने कराया गया है। समाजशास्त्री गौरांग जानी कहते हैं कि पिछले दो साल के दौरान बने ये मंदिर संबंधित समूहों के गौरव एवं सत्ता का केंद्र बन चुके हैं। खोडलधाम मंदिर के दो ट्रस्टी दिनेश चोवाटिया तथा रविभाई अम्बालिया कांग्रेस के टिकट पर क्रमश: राजकोट दक्षिण और जेतपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। एक अन्य ट्रस्टी गोपालभाई वस्तापारा अमरेली जिले के लाठी बाबरा क्षेत्र से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं । 
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गुजरात में राजनीतिक कारणों से मंदिर हमेशा चर्चा में रहते हैं। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एल के आडवाणी ने आयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए 1990 में अपनी रथयात्रा प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से शुरू की थी। प्रदेश में 2002 में हुए विधानसभा चुनावों में मंदिर राजनीति उस समय सामने आयी जब साबरमती एक्सप्रेस को आग लगाई गई जिसमें अयोध्या से लौट रहे हिंदू श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इसके बाद राज्य के दूसरे हिस्से में दंगा फैल गया था।  
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श्रीखोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेशभाई पटेल ने पटेल आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले नेता हार्दिक पटेल से पिछले हफ्ते मुलाकात की थी। बाद में हार्दिक ने दावा किया कि वह नरेशभाई पटेल का शंका समाधान करने में सफल रहे हैं। ट्रस्ट ने बड़ी संख्या में पाटीदार समुदाय के लोगों के बदतर स्थिति में रहने के हार्दिक के दावे से सहमति जताई लेकिन उसने साफ किया कि वह राजनीतिक तौर पर तटस्थ रहेगा। खोडलधाम ट्रस्ट हार्दिक के आरक्षण की मांग का समर्थन करता है लेकिन हार्दिक राजनीतिक विजय के रूप में इसे प्राप्त करना चाहते हैं। इसका साफ मतलब है कि समुदाय हार्दिक के निकट बढ़ रहा है। 
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एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह कहते हैं कि भाजपा पाटीदारों के लिए सत्ता का प्रतीक थी और पिछले कुछ सालों से ये दोनों मंदिर उनके लिए महत्वपूर्ण बन गए हैं जिसका निर्माण समुदाय के दो अलग-अलग उपजातियों ने कराया है। शाह ने कहा कि दोनों मंदिरों के उद्घाटन के समय लाखों की संख्या में पाटीदार आए। यह एक स्पष्ट संदेश है कि पाटीदारों ने भाजपा से बाहर सत्ता के अपने केंद्र का निर्माण कर लिया है।
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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान गुजरात में विभिन्न मंदिरों में गए। राहुल इन दोनो मंदिरों में भी गए थे और न्यासियों से मुलाकात की थी।  राहुल के दौरे के तुरंत बाद गुजरात के मुख्यमंत्री विजय कुमार रूपाणी भी खोडलधाम मंदिर गए और नरेशभाई के साथ बातचीत की।  कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि उन्हें उम्मीद है कि दोनो मंदिर राज्य में विधानसभा चुनावों में भूमिका निभाएंगे, लेकिन यह कहना गलत होगा कि ये चुनाव में पांसा पलट देंगे। उन्होंने कहा कि  पाटीदार समुदाय के लोग इन दोनो मंदिरों के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं लेकिन यह कहना गलत होगा कि मंदिर चुनाव का रूख मोड़ देंगे। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी मंदिर के प्रभाव को गंभीरता पूर्वक ले रही है क्योंकि रूपाणी के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इन दोनों मंदिरों के ट्रस्टियों के साथ बैठक कर चुके हैं। उन्होंने पाटीदार समुदाय की समस्या को सुलझाने का भरोसा भी दिलाया है। 

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