गुजरात चुनावः वोटिंग से पहले CM के लिए पटेल चेहरे की घोषणा कर सकती है BJP

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 09:23 PM

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गुजरात में भाजपा वोटिंग से ऐन पहले जातीय समीकरण को देखते हुए किसी पटेल को सीएम प्रत्याशी घोषित कर सकती है। जानकारों के मुताबिक, डिप्टी सीएम नितिन पटेल इस पद के लिए माकूल माने जा रहे हैं

नेशनल डेस्कः गुजरात में भाजपा वोटिंग से ऐन पहले जातीय समीकरण को देखते हुए किसी पटेल को सीएम प्रत्याशी घोषित कर सकती है। जानकारों के मुताबिक, डिप्टी सीएम नितिन पटेल इस पद के लिए माकूल माने जा रहे हैं। गुजरात में विधानसभा के लिए पहले चरण की वोटिंग 9 दिसंबर को होगी। अभी तक के चुनाव प्रचार में पटेल इलाकों में भाजपा की रैली सामान्य ही रही है। जानकारों की मानें तो पीएम की रैली में भीड़ तो जुट रही है लेकिन भीड़ में उत्साह की कमी भाजपा साफ महसूस कर रही है। पिछले चुनाव चाहे वह 2007 के रहे हों या 2012 के मोदी की रैली में लोगों का उत्साह देखने लायक होता था।

अपने ही पटेल नेताओं की उपेक्षा का लग रहा आरोप
वहीं, कांग्रेस भी पटेल इलाकों में इस बार काफी प्रभावी दिख रही है। हार्दिक पटेल को प्रताड़ित करने का आरोप कांग्रेस लगा रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने पटेल वोटरों और नेताओं को हमेशा दरकिनार किया है। चाहे वह केशूभाई पटेल रहे हों, चाहे आनंदीबेन पटेल या फिर नितिन पटेल ही क्यों न हो। आनंदीबेन पटेल की कुर्सी ले ली और नितिन पटेल को आखिरी वक्त में सीएम नहीं बनने दिया गया। 

भाजपा पटेलों को फिर से एकजुट करने लगा रही दाव
सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद भाजपा में यह सोच बन रही है कि पटेल वोटर जो भाजपा के साथ हैं उनमें उत्साहवर्धन के लिए और जो पटेल वोटर जो भाजपा से छिटकने की कगार पर हैं। उन्हे एकजुट करने के लिए यह संकेत दिया जाए कि चुनाव के बाद सत्ता की कमान पटेलों के हाथों में ही रहेगी। इसके लिए जरूरी है कि प्रथम चरण के वोटिंग से पहले किसी पटेल प्रत्याशी को सीएम प्रत्याशी घोषित कर दिया जाए। 

मनोहर पार्रिकर के साथ किया एक्सपेरिमेंट रहा सफल 
गौरतलब है कि भाजपा इस रणनीति को हिमाचल में लागू कर चुकी है। जब चुनावी रैली से प्रेम कुमार धूमल को सीएम प्रत्याशी घोषित कर राजपूत वोटरों को साधने की कोशिश की गई। इसी तरह का एक्सपेरिमेंट गोवा चुनाव में भी किया गया था। हालांकि यहां मनोहर पर्रीकर को प्रत्याशी तो घोषित नहीं किया गया था लेकिन मीडिया और आम सभाओं के जरिए परोक्ष रूप से पर्रीकर को सीएम प्रत्याशी बताया जा रहा था। चुनाव के बाद भाजपा ने समीक्षा में यह पाया था कि अगर पर्रीकर को पहले ही गोवा का सीएम उम्मीदवार घोषित कर देती तो शायद पार्टी अपने दम पर बहुमत पा लेती। 

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