क्या है साल 2002 का गुलबर्ग केस, PM मोदी का क्यों आया था नाम, जानें पूरा घटनाक्रम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Oct, 2017 12:35 AM

gulberg society case in which mr modi got a clean chit

28 फरवरी 2002 को भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी में धावा बोल दिया। इस घटना में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों की जान चली गयी थी

नई दिल्लीः अहमदाबाद के 15 साल पुराने चर्चित गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में हाईकोर्ट ने आज पीएम नरेंद्र मोदी क्लीन चिट दे दी। गोधरा कांड के बाद हुए इस हत्याकांड ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। हम आपको बता रहे हैं क्या है गुलबर्गा कांड और क्यों पीएम मोदी को बनाया गया था आरोपी। हाईकोर्ट ने किसी तरह के बड़े षड्यंत्र की बातों को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही तब से अब तक हुए घटनाक्रम का सिलसिलेवार वर्णन। 
PunjabKesari69 लोगों में 30 की हड्डियां तक नहीं मिली
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में कारसेवकों को जलाने की घटना के एक दिन बाद पूरे राज्य में दंगा भड़क गया था। 28 फरवरी 2002 को भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी में धावा बोल दिया। इस घटना में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों की जान चली गयी थी। जानकारी के मुताबिक, 39 लोगों के तो शव मिले भी लेकिन बाकी तीस के शव तक नहीं मिले, जिन्हें सात साल बाद कानूनी परिभाषा के तहत मरा हुआ मान लिया गया।
PunjabKesariजांच को सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा  
गुलबर्ग सोसायटी कांड की जांच पहले अहमदाबाद पुलिस ने की और जून 2002 से अक्टूबर 2004 के बीच इस मामले में पांच सप्लीमेंट्री सहित कुल छह चार्जशीट दाखिल की लेकिन उसी दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दंगों की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2003 के अपने आदेश के तहत गुलबर्ग सोसायटी कांड सहित 2002 दंगों के नौ बड़े मामलों पर स्टे लगा दिया, जिसमें गोधरा कांड भी शामिल था।
PunjabKesari2008 में एसआईटी गठन के दिए आदेश
लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2008 को अपने आदेश में इन सभी नौ बड़े मामलों की जांच के लिए विशेष जांच टीम यानी एसआईटी के गठन का आदेश दिया। जिसके अध्यक्ष बनाए गए सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन। राघवन की अगुआई वाली इस एसआईटी ने ही इस मामले में नए सिरे से जांच शुरु की और 2008 में तीन सप्लीमेंट्री चार्जशीट संबंधित मेट्रोपोलिटन अदालत में फाइल की।
PunjabKesari2012 में एसआईटी ने दाखिल की रिपोर्ट  
जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें 2002 दंगों और गुलबर्ग हत्याकांड के लिए राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 62 लोगों के साथ जिम्मेदार ठहराया था। एसआईटी ने  2010 में  नरेंद्र मोदी से भी लंबी पूछताछ की। हालांकि मोदी ने इस बात से साफ इंकार किया कि 28 फरवरी 2002 के दिन एहसान जाफरी की तरफ से उन्हें मदद के लिए फोन आया था। जांच पूरी होने के बाद एसआईटी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट 8 फरवरी 2012 को दाखिल की।
PunjabKesariक्या थी जाकिया जाफरी की याचिका?
कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ की गैर सरकारी संस्था सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस की तरफ से दंगों के पीछे बड़ी साजिश बतायी गई थी।एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट 8 फरवरी 2012 को दाखिल की गई थी, जिसमें तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट को मजिस्ट्रेट के आदेश में बरकरार रखने के खिलाफ साल 2014 को हाईकोर्ट में आपराधिक समीक्षा याचिका (क्रिमिनल रिव्यू पेटिशन) दायर की गई थी। 


 

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