मर्डर और कुकर्म मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की निचली अदालत के जजों को फटकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Feb, 2018 04:42 PM

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 साल के लड़के से कुकर्म की कोशिश और हत्या के एक मामले में 24 गवाहों में 22 से जल्दबाजी में गवाही कराने पर निचली अदालत के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जल्दबाजी दिखाने से इंसाफ नहीं हो पाने का यह नायाब उदाहरण है।

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 साल के लड़के से कुकर्म की कोशिश और हत्या के एक मामले में 24 गवाहों में 22 से जल्दबाजी में गवाही कराने पर निचली अदालत के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जल्दबाजी दिखाने से इंसाफ नहीं हो पाने का यह नायाब उदाहरण है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ओर से आनन-फानन में एक ही दिन में 22 गवाहों की गवाही की कराने की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि वह यह समझ नहीं पा रहा कि इस तरह के मामलों में अभियोजन सबूत पर गौर करने के लिए निचली अदालत ने जल्दबाजी क्यों दिखाई और इस वजह से न्याय नहीं हुआ।

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई.एस. मेहता की पीठ ने 2012 में उत्तर-पश्चिम दिल्ली में नाबालिग का अपहरण, कुकर्म की कोशिश और हत्या के अपराध में दो लोगों को दोषी करार देने और सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के अक्तूबर 2014 के फैसले को खारिज कर दिया। अदालत ने दोनों को बरी भी कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘अदालत को याचिकाकर्त्ताओं (दोषियों) के वकील की दलील में दम लगता है कि आरोपियों के प्रति पूर्वाग्रह के कारण निचली अदालत के न्यायाधीश ने त्वरित प्रक्रिया अपनाई।’’ अदालत ने दोनों लोगों को संदेह का लाभ दिया और मामले में उन्हें बरी कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘निचली अदालत के न्यायाधीश ने जिस तरह मुकद्दमा चलाया उस वजह से न्याय नहीं हो पाया।’’

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