HC का आदेश, पति को शराबी कहना भी उत्पीडऩ

Edited By ,Updated: 14 Oct, 2016 09:51 AM

high court divorce cases

हाईकोर्ट ने तलाक के एक मुकद्दमे में फैसला देते हुए कहा कि पत्नी का पति को शराबी कहना मानसिक उत्पीडऩ जैसा है।

नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने तलाक के एक मुकद्दमे में फैसला देते हुए कहा कि पत्नी का पति को शराबी कहना मानसिक उत्पीडऩ जैसा है। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और प्रतिभा रानी की पीठ ने महिला की अपील को खारिज करते हुए दोनों के बीच तलाक को मंजूरी दे दी। 

वर्ष 2003 में हुई थी शादी
दोनों की वर्ष 2003 में शादी हुई थी। दम्पति पिछले 9 साल से तलाक का मुकद्दमा लड़ रहा था। पीठ ने कहा कि महिला ने न सिर्फ अपने पति पर दूसरी महिला से अवैध संबंध रखने का बेबुनियाद आरोप लगाया बल्कि उसे बार-बार शराबी भी कहा है।

शराबी कहने से प्रतिष्ठा धूमिल हुई
हाईकोर्ट ने कहा है कि इस तरह का बेबुनियाद आरोप लगाना और शराबी कहना पति का गंभीर मानसिक उत्पीडऩ है। इतना ही नहीं, एक शिक्षक को शराबी की संज्ञा देने से समाज में उनकी प्रतिष्ठा भी धूमिल हुई। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले प्रेम और शहरी परिवेश में पली-बढ़ी रश्मि (काल्पनिक नाम) का वर्ष 2003 में विवाह हुआ। अलग-अलग परिवेश होने की वजह से दोनों में अनबन रहती थी मगर कुछ ही दिन बाद प्रेम को दिल्ली में शिक्षक की नौकरी मिल गई और वह अपनी पत्नी के साथ यहीं रहने लगे।

पत्नी मेहमानों को भला-बुरा कहती थी 
हाईकोर्ट में पेश मामले में प्रेम के अनुसार रश्मि घर में आने वाले मेहमानों को भला-बुरा कहती, यहां तक कि चाय भी बनाकर नहीं देती थी। प्रेम ने यह भी आरोप लगाया कि वह रात को तांत्रिक क्रिया करती और तकिए के नीचे तंत्र-मंत्र का सामान लेकर सोती थी।  प्रेम ने आरोप लगाया कि इस बारे में समझाने पर रश्मि उस पर शराबी और दूसरी महिला से संबंध होने के झूठे आरोप लगाने लगी। इसके बाद वर्ष 2007 में प्रेम ने पत्नी के इस रवैये को मानसिक उत्पीडऩ बताते हुए तलाक के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी।

अदालत ने तलाक को मंजूरी प्रदान की
इस मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सभी परिस्थितियों को देखने के बाद यदि तलाक को मंजूरी नहीं दी गई तो इससे पति को परेशानी तो होगी, साथ ही महिला की जिंदगी भी मुश्किलों भरी होगी। जांच के दौरान गलत निकले पत्नी के आरोप 
अदालत के सामने पत्नी ने अपने पति पर कई आरोप लगाए थे। अदालत द्वारा उनकी जांच कराई गई। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, आरोप बेबुनियाद साबित होने पर पत्नी का मामला खुद ही कमजोर हो गया। यह मामला अपने आप में अलग था।  

अपने बच्चों के प्रति जिम्मेदार है पिता 
अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला का पति को बच्चों के प्रति लापरवाह कहना गलत है। जांच में यह आरोप बिल्कुल ही गलत पाया गया। पीठ ने कहा है कि पति अपने दोनों बेटों को दिल्ली के नामी स्कूल में पढ़ा रहा है और उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रख रहा है।  पिता ने उन्हें रहने के लिए घर भी खरीद कर दिया है। पीठ ने कहा है कि इससे साफ है कि वह अपने दोनों बेटों के प्रति जिम्मेदार पिता है और अपनी जिम्मेदारी को निभा रहा है। पिता को किसी भी दृष्टि से लापरवाह नहीं कहा जा सकता है। इस वजह से महिला के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। 

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