अब सिर्फ हिंदी में भाषण देंगे राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री

Edited By ,Updated: 17 Apr, 2017 03:00 PM

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राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ''आधिकारिक भाषाओं को लेकर बनी संसदीय समिति'' की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।

नई दिल्लीः राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'आधिकारिक भाषाओं को लेकर बनी संसदीय समिति' की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। समिति ने यह सिफारिश की थी कि राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी गणमान्‍य लोग अगर हिंदी बोल और पढ़ सकते हैं तो उन्‍हें इसी भाषा में भाषण देना चाहिए। जानकारी के अनुसार, समिति ने 6 साल पहले हिंदी को लोकप्रिय बनाने को लेकर राज्‍य-केंद्र से विचार-विमर्श के बाद लगभग 117 सिफारिशें की थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी वर्ष जुलाई में समाप्त हो रहा है और मुमकिन है कि जाे अगला राष्ट्रपति बनेगा वह हिंदी में ही भाषण देगा। प्रधानमंत्री और उनके मंत्रीमंडल के अधिकांश सहयोगी हिंदी में ही भाषण देते हैं। फिलहाल राष्‍ट्रपति ने इस अधिसूचना को मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, सभी मंत्रियों और राज्‍यों को भेजा है। 

कई और सिफारिशों को भी मंजूरी
राष्ट्रपति ने कई और सिफारिशों को भी अपनी मंजूरी दी है, जिनमें एयर इंडिया की टिकटों पर हिंदी का उपयोग और एयरलाइंस में यात्रियों के लिए हिंदी अखबार तथा मैगजीन उपलब्‍ध कराना भी शामिल है। हालांकि राष्ट्रपति ने नागर विमानन मंत्रालय को कहा है कि यह नियम सिर्फ सरकारी एयरलाइन तक सीमित रखा जाए। इसके अलावा सरकारी भागीदारी वाली निजी कंपनियों में बातचीत के लिए हिंदी को अनिवार्य करने तथा निजी कंपनियों के लिए अपने उत्पादों के नाम और संबंधित सूचना को हिंदी में देने की सिफारिश को नामंजूर कर दिया है। लेकिन सभी सरकारी और अर्ध सरकारी संगठनों को अपने उत्‍पादों की जानकारी हिंदी में देना अनिवार्य होगा।

हिंदी अनिवार्य विषय करने की सिफारिश
संसदीय समिति ने सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय में आठवीं कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय करने की भी सिफारिश की थी, जिसे राष्‍ट्रपति ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इसके अनुसार केंद्र ए श्रेणी के हिंदी भाषी राज्‍यों में ऐसा कर सकता है लेकिन उसके लिए राज्‍यों से सलाह-मशविरा करना अनिवार्य होगा। गैर हिंदीभाषी राज्यों के विश्वविद्यालयों से मानव संसाधन विकास मंत्रालय कहेगा कि वे छात्रों को परीक्षाओं और साक्षात्कारों में हिंदी में उत्तर देने का विकल्प प्रदान करे। इस सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया गया है कि सरकार, सरकारी संवाद में हिंदी के कठिन शब्दों का उपयोग करने से बचे।

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