भारत का ऐसा जेल जहां कैदी हर माह कमाते हैं 50 रुपए

Edited By ,Updated: 30 Sep, 2016 05:19 PM

hoshangabad jail superintendent

अगर जेल में कैदियों को हर महीने 50 हजार सैलरी मिल रही हो तो शायद हर बेरोजगार जेल जाना ही पसंद करेगा।

नई दिल्ली: अगर जेल में कैदियों को हर महीने 50 हजार सैलरी मिल रही हो तो शायद हर बेरोजगार जेल जाना ही पसंद करेगा। यह कोई मजाक नहीं बल्कि सौ फीसदी सही है। दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार की पहल पर होशंगाबाद जिले में खुली जेल शुरू की गई है। छह सालों से संचालित इस जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका सजा के दौरान आचरण और व्यवहार अच्छा रहता है। जेल की खास बात ये है कि इस जेल में कैदी अपने परिवार को भी साथ रख सकते हैं और रोजगार करके अपने पारिवारिक जिम्मेदारी भी निभा सकते हैं। आम आदमी की तरह उन्हें जेल से बाहर जाने की इजाजत मिलती है और पैसा कमाते हैं।


जेसीबी चलाकर हर महीने कमाए 50 हजार
इसी जेल में मनोज ने जेसीबी मशीन चलाकर हर महीने 50 हजार रुपए कमाए। इस दौरान उसने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी और सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। जेल में हत्या की सजा काट रहे मनोज पिछले महीने रिहा हुआ। जेल में रहने के दौरान उसने काम करके हर महीने 50 हजार रुपए कमाए। 2010 से शुरू हुई इस जेल में अभी तक 64 बंदी अपने परिवार का दायित्व निभाने के साथ-साथ रोजगार करके सजा काट चुके हैं। इनमें से 46 कैदी अपनी सजा पूरी करके रिहा हो चुके हैं और अपने परिवार के साथ सामाजिक और सम्मानजनक जीवन बिता रहे हैं। फिलहाल इस जेल में 18 कैदी अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। इस जेल की क्षमता 25 कैदी के परिवारों के रहने की है। 

घर जैसा होता जेल का नजारा
इस जेल का नजारा दूसरी जेलों से हटकर होता है। रोजाना सुबह ऐसा माहौल होता है जैसे किसी नौकरीपेशा या कामगार के घर का होता है। कैदी की पत्नी रोजाना सुबह अपने पति के लिए टिफिन तैयार करती है और चाय-नाश्ते के बाद कैदी अपने रोजगार के लिए जेल से बाहर शहर के लिए निकल जाता है। शहर में अपनी योग्यता के अनुसार काम कर कैदी पैसा कमाता है और रोज शाम को अपने घर की तरह वापस आकर अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताता है। 

इस जेल में रहने वाले कैदी कैंटीन चलाकर, फल बेचकर और अपनी योग्यता के अनुसार अलग- अलग काम करने शहर में निकल जाते हैं। जेल अधीक्षक मनोज साहू बताते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार के कारागार अधिनियम 1944 में 2009 में संशोधन करके ये व्यवस्था शुरू की गई है। इस व्यवस्था का उद्देश्य अच्छे व्यवहार वाले कैदी सामान्य जीवन बिताएं और पारिवारिक दायित्व भी निभाएं इसके लिए किया गया।

10 साल या इससे अधिक साल की सजा काट चुके कैदियों को मिलता है लाभ
इस पहल का लाभ उन कैदियों को दिया जाता है। जिनकी 10 साल या इससे अधिक साल की सजा पूरी हो चुकी हो या फिर उसने अपनी सजा का दो तिहाई हिस्सा पूरा कर लिया हो। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कैदी का आचरण और व्यवहार अच्छा हो। अपने परिवार के साथ इस जेल में जो कैदी रहना चाहते हैं, वो जेल विभाग में आवेदन करते हैं और फिर जेल विभाग की अनुसंशा पर प्रदेश की अलग-अलग जेलों से कैदी यहां अपने परिवार के साथ रहने पहुंचते हैं। नियम के मुताबिक कैदी होशंगाबाद के नगर पालिका क्षेत्र से बाहर काम करने नहीं जा सकते हैं और सूर्योदय के बाद इन्हें जेल से निकलने की अनुमति होती है और सूर्यास्त के पहले इन्हें जेल में अपनी हाजिरी देनी होती है। 

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