Edited By ,Updated: 18 Nov, 2016 01:20 AM
80 के दशक के मध्य में सामने आए बोफोर्स घोटाले का सेना के तोपखानों के आधुनिकीकरण की योजनाओं पर बेहद बुरा असर पड़ा था। हालांकि अब इस ...
नई दिल्ली: 80 के दशक के मध्य में सामने आए बोफोर्स घोटाले का सेना के तोपखानों के आधुनिकीकरण की योजनाओं पर बेहद बुरा असर पड़ा था। हालांकि अब इस घोटाले का काला साया सेना से हटता नजर आ रहा है। 2017 मध्य से 155 मि.मी. होवित्जर तोपों को इस्तेमाल के लिए सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
भारत और अमरीका ने आज विदेशी सैन्य बिक्री (एफ.एम.एस.) के दायरे में आने वाली परियोजनाओं के समूचे खाकेकी समीक्षा की क्योंकि दोनों पक्ष एम-777 होवित्जर तोपों की खरीद सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहे हैं। एम-777 होवित्जर तोपों का सौदा 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाला सामने आने के बाद से पहला तोप सौदा है।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि करीब 5000 करोड़ रुपए की कीमत वाली 145 अमरीकी अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के लिए सौदे को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सी.सी.एस.) ने हाल में मंजूरी दे दी है। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजैंसी के निदेशक वाइस एडमिरल जोसेफ रिक्सी ने यहां रक्षा मंत्रालय में अपने समकक्ष से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि 22 प्रीडेटर गाॢडयन ड्रोन सहित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर चर्चा की गई।