Edited By ,Updated: 15 May, 2017 08:01 PM
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वह विधायिकाओं में चर्चा की गुणवत्ता में सुधार करें। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ मतदाताओं की...
जयपुर : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वह विधायिकाओं में चर्चा की गुणवत्ता में सुधार करें। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ मतदाताओं की संख्या के आधार पर ही विश्व के लिए प्रेरणास्त्रोत नहीं बना रह सकता। यहां पहले भैरोंसिंह शेखावत स्मृति व्यायान में राष्ट्रपति ने भारत में संसदीय लोकतंत्र की प्रशंसा की और कहा कि संसद का काम 3डी पर आधारित है-डिबेट, डिस्सेंशन और डिसिजन (बहस, मतभेद और निर्णय)।
उन्होंने कहा कि सदन में जब बहुमत से एक फैसला ले लिया जाता है तो यह भारत का फैसला बन जाता है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप सिर्फ अपने मतदाताओं की संख्या के आधार पर ही दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत नहीं बने रह सकते।’’ राष्ट्रपति ने सांसदों और विधायकों से सदन में विचार-विमर्श, चर्चा और बहस की गुणवत्ता में सुधार का जिक्र करते हुये कहा कि लोगों ने उनमें शक्ति और विशेषाधिकार निहित किए हैं।
करीब चार दशक का संसदीय अनुभव रखने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘जो संसद में लागू है वह सभी 29 राज्यों की विधानसभाओं में भी लागू होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘80 करोड़ लोगों द्वारा सभी 29 राज्यों के सांसदों और विधायकों में व्यापक शक्तियां और जिम्मेदारियां निहित की गई हैं। अगर हम इस शक्ति और विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो इसके लिए हमें खुद को दोषी ठहराना होगा किसी और को नहीं।’’