कश्मीर पर वाजपेयी फॉर्मूला अपनाए मोदी सरकार, तभी कुछ होगा : मीरवायज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 08:43 PM

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उदारवादी हुरियत कांफ्रैंस के प्रमुख मीरवायज उमर फारूक ने कहा कि वह केन्द्र के साथ बिना शर्त बातचीत के हक में हैं, लेकिन ये भी कहा कि यह बातचीत अगर वाजपेयी सरकार के फार्मूले के अनुसार होगी तो इसकी सफलता की गुंजाइश सबसे ज्यादा होगी।

श्रीनगर : उदारवादी हुरियत कांफ्रैंस के प्रमुख मीरवायज उमर फारूक ने कहा कि वह केन्द्र के साथ बिना शर्त बातचीत के हक में हैं, लेकिन ये भी कहा कि यह बातचीत अगर वाजपेयी सरकार के फार्मूले के अनुसार होगी तो इसकी सफलता की गुंजाइश सबसे ज्यादा होगी। मीरवायज ने कहा कि ‘वाजपेयी फार्मूला’ में सभी पक्षों को शामिल किया गया था। उन्होंने इस संदर्भ में कश्मीरी पृथकतावादी नेताओं को नयी दिल्ली के साथ-साथ इस्लामाबाद और पाक अधिकृत कश्मीर में उनके समकक्षों के साथ एक साथ संवाद की इजाजत दिए जाने का जिक्र किया।
एक बयान में मीरवायज ने कहा कि हम बातचीत के लिए एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें हर किसी को शामिल किया जाए। हम इसे महज तस्वीरें खिंचवाने का मौका ही नहीं बन जाने देना चाहते। हमें बातचीत का सिलसिला शुरू करना चाहिए। नतीजे की फिक्र नहीं होनी चाहिए। बस यह प्रक्रिया संजीदा हो।

वार्ता प्रस्ताव का किया स्वागत
मीरवायज ने हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से बातचीत के प्रस्ताव का स्वागत किया था। हालांकि यह पहला मौका है जब उन्होंने इस बात पर खुलकर बात की कि 70 वर्ष से चली आ रही समस्या को सुलझाने के लिए होने वाली बातचीत को सफल बनाने के बारे में वह क्या सोचते हैं। हालांकि, वाजपेयी सरकार के फार्मूले पर वापस लौटने की उनकी राय से सरकार के इत्तेफाक रखने की गुंजाइश कम ही है क्योंकि इसमें पाकिस्तान को शामिल करने की बात की गई है।

पाकिस्तान को भी किया जाए शामिल
मीरवायज ने साफ  तौर पर कहा कि कश्मीर के सभी पक्षों, जिनसे गृहमंत्री बात करने की बात करते हैं, में पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर रियासत के सभी क्षेत्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

वाजपेयी के रास्ते अपनाए
मीरवायज ने कहा कि सरकार को सिर्फ  इतना करने की जरूरत है कि वह उस समय (वाजपेयी सरकार) की पुरानी फाइलों का अध्ययन करे। आप इसे कोई भी नाम दे सकते हैं, त्रिपक्षीय, त्रिकोणीय या फिर तीन तरफा बातचीत। मगर रास्ता यही है। कश्मीर मसले को हल करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नजरिए को ही वाजपेयी सिद्धांत कहा जाता है। इसके मुताबिक इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की भावना के तहत ही जम्मू कश्मीर में शांति, संपन्नता और विकास हो सकता है।

राजनीतिक है मसला
अमूमन अहिंसा की हिमायत करने वाले फारूक ने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर का मसला एक राजनीतिक समस्या है और इसे सैन्य तरीके से हल नहीं किया जा सकता। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले माह स्वतंत्रता दिवस पर अपनी तकरीर में कहा था कि कश्मीर मसले को गालियों या गोलियों से नहीं बल्कि कश्मीरियों को गले लगाकर ही हल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य बयान था और हमने सोचा कि सरकार अपनी कश्मीर नीति पर फिर से विचार कर रही है। हालांकि इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। दरअसल यह और ज्यादा कट्टर हो गई है। अलगाववादी नेताओं को बदनाम करने का अभियान जारी है।

 

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