Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 10:15 PM
भारत और अमरीका ने अत्याधुनिक हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढाने के लिए विचार- विमर्श किया। भारत-अमरीका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार उपक्रम (डीटीटीआई) के अंतर एजेन्सी कार्यबल की आठवीं बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता...
नई दिल्ली: भारत और अमरीका ने अत्याधुनिक हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढाने के लिए विचार- विमर्श किया। भारत-अमरीका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार उपक्रम (डीटीटीआई) के अंतर एजेन्सी कार्यबल की आठवीं बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल ए के जैन और अमरीकी प्रतिनिधि मैथ्यू वारेन ने की। डीटीटीआई की अवधारणा का विचार सबसे पहले अमरीका के पूर्व रक्षा मंत्री डॉ. एश्टन कार्टर ने 2012 में रखा था।
डीटीटीआई का उद्देश्य दोनों देशों के नेतृत्व का ध्यान रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार पर केन्द्रित रखना है जिससे कि रक्षा उपकरणों के सह उत्पादन और संयुक्त विकास की संभावनाओं का पता लगाकर उन पर काम किया जा सके। इसे देखते हुए दोनों देशों ने सशस्त्र सेनाओं की विभिन्न परियोजनाओं के लिए कई संयुक्त कार्य दलों का गठन किया। इन दलों की परियोजनाओं पर चर्चा के लिए नियमित बैठकें होती हैं । अमरीका ने पिछले वर्ष राष्ट्रीय रक्षा अधिकार अधिनियम के तहत भारत को प्रमुख रक्षा साझीदार घोषित किया था जिससे डीटीटीआई की व्यवस्था को बल मिला है।
वाइस एडमिरल जैन ने इस मौके पर कहा कि भारत का रक्षा उद्योग निरंतर बढ रहा है और वह हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की प्रौद्योगिकी हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। इससे सरकार की मेक इन इंडिया योजना को भी बढावा मिलेगा। वारेन ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग निरंतर बढ रहा है और दोनों इस मामले में डीटीटीआई के महत्व को समझते हैं। उन्होंने कहा कि यह परस्पर सहयोग बढाने के लिए अच्छा मंच है।