ISRO के 13 सैटलाइट्स से भारतीय सेना मजबूत, सर्जिकल स्‍ट्राइक में मिलेगी मदद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 03:16 PM

indian army strengthens isro s satellite

इसरो ने हाल ही में कार्टोसैट-2 सीरीज के ''आई इन द स्काई'' सैटलाइट के सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। कार्टोसैट-2 सैटेलाइट के साथ ही आर्मी द्वारा दुश्‍मनों पर निगाह रखने वाले सैटेलाइट की संख्‍या 13 हो गई है।

नई दिल्‍लीः इसरो ने हाल ही में कार्टोसैट-2 सीरीज के 'आई इन द स्काई' सैटलाइट के सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। कार्टोसैट-2 सैटेलाइट के साथ ही आर्मी द्वारा दुश्‍मनों पर निगाह रखने वाले सैटेलाइट की संख्‍या 13 हो गई है। इन सैटेलाइट का मुख्‍य कार्य दुश्मनों पर नजर रखना होगा। जमीन के साथ समुद्र में भी ये सैटेलाइट अपनी पैनी निगाह रखने में कारगर हैं। इसके अलावा अब इमरजेंसी में अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल सैटलाइट लांच करने के लिए भी किया जा सकता है।

पृथ्‍वी के पास स्थापित किया रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट
इसरो ने ज्यादातर रिमोट से चलने वाली इन सैटेलाइट को पृथ्वी के कक्षा के पास स्थापित किया है जोकि पृथ्वी की सतह से लगभग 200 से 1200 किलोमीटर की ऊंचाई पर लगाई गई हैं। ये सभी सैटेलाइट भारतीय सीमा में होने वाली हलचल को स्केन कर सेना को जल्द से जल्द सूचित करेगी। इनमें से कुछ रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट को भू-कक्षा में लगाया गया है। इतना ही नहीं 712 किलो की कार्टोसेट-2 सैटेलाइट सेना को पृथ्वी की साफ तस्वीर देने में मदद करेगी।

भारतीय जलसेना में जीसैट 7 का इस्‍तेमाल
भारतीय जलसेना भी G-SAT सैटेलाइट की मदद से दुश्मनों पर पैनी नजर रखेगी जिसमें वो युद्धपोतों, पनडुब्बियों, विमानों से सही समय पर संपर्क साधेगी सकेगी। भारत एंटी सैटेलाइट वेपन (ASAT) भी लांच कर सकता है जो दुश्मनों के सैटेलाइट को नष्‍ट कर सकती है। केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास इस तरह के वेपन हैं।

'आमने-सामने लड़ाई का जमाना नहीं रहा'
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व डायरेक्टर (पब्लिक इंटरफेस) रवि गुप्ता ने कहा कि अग्नि-5 मिसाइल को सैटेलाइट लांच के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अग्नि-5 बलिस्टिक मिसाइल को विकसित किए जाने की प्रक्रिया के दौरान हासिल की गईं तकनीकी क्षमताओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर 'सैटेलाइट लॉन्च ऑन डिमांड' यानी मांग के अनुसार कभी भी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए किया जा सकता है।' उन्होंने आगे कहा, 'इसी तरह इन तकनीकों को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए इस्तेमाल होने वाली तकनीक के साथ मिलाकर ऐंटी-सैटलाइट वेपन सिस्टम विकसित करने के लिए किया जा सकता है।' रवि ने कहा कि अब आमने-सामने लड़ाई करने का जमाना जा चुका है इसलिए सैटेलाइट रणनीति युद्ध के परिणाम को बदलने में एक अहम भूमिका निभा रही है।

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