भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबमरीन 'खांदेरी', कई गुना बढ़ेगी भारत की ताकत

Edited By ,Updated: 12 Jan, 2017 08:38 PM

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पानी के अंदर या सतह पर तारपीडो के साथ-साथ पोत-रोधी मिसाइलों से वार करने और रडार से बच निकलने की उत्कृष्ट क्षमता से लैस स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खान्देरी का आज यहां मझगान डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में जलावतरण किया गया।

मुंबई: पानी के अंदर या सतह पर तारपीडो के साथ-साथ पोत-रोधी मिसाइलों से वार करने और रडार से बच निकलने की उत्कृष्ट क्षमता से लैस स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी 'खान्देरी' का आज यहां मझगान डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में जलावतरण किया गया। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने खान्देरी के जलावरतण के समारोह की अध्यक्षता की। इस पनडुब्बी का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री की पत्नी बीना भामरे ने किया। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा भी इस अवसर पर मौजूद थे। यहां पनडुब्बी को उस पॅन्टून से अलग किया गया, जिसपर उसके विभिन्न हिस्सों को जोड़कर एकीकृत किया गया था। 

एक नजर 'खान्देरी' की खूबियों परः
-स्कॉर्पीन श्रेणी की यह पनडुब्बी अत्याधुनिक फीचर से लैस है। इनमें रडार से बच निकलने की इसकी उत्कृष्ट क्षमता और सधा हुए वार करके दुश्मन पर जोरदार हमला करने की योग्यता शामिल है। 

-रडार से बच निकलने की क्षमता इसे अन्य कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाएगी। यह पनडुब्बी हर तरह के मौसम और युद्धक्षेत्र में संचालन कर सकती है। 

-नौसैन्य कार्य बल के अन्य घटकों के साथ इसके अंतर्संचालन को संभव बनाने के लिए हर तरह के साधन और संचार उपलब्ध कराए गए हैं। यह किसी भी अन्य आधुनिक पनडुब्बी द्वारा अंजाम दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अभियानों को अंजाम दे सकती है। इन अभियानों में सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, क्षेत्र की निगरानी करना शामिल है।

-खान्देरी उन छह पनडुब्बियों में से दूसरी पनडुब्बी है, जिसका निर्माण एमडीएल में फ्रांस की मेसर्स डीसीएनएस के साथ मिलकर किया जा रहा है। यह भारतीय नौसेना के  ‘प्रोजेक्ट 75’ का हिस्सा है। 

गौरतलब है कि पहली पनडुब्बी कल्वारी समुद्री परीक्षण पूरे कर रही है और उसे जल्दी ही नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा को इस साल आठ दिसंबर को 50 साल पूरे हो जाएंगे। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा के स्थापना की याद में हर साल पनडुब्बी दिवस मनाया जाता है। आठ दिसंबर 1967 को पहली पनडुब्बी- प्राचीन आईएनएस कल्वारी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। पहली भारत-निर्मित पनडुब्बी आईएनएस शाल्की के साथ भारत सात फरवरी 1992 को पनडुब्बी बनाने वाले देशों के विशेष समूह में शामिल हुआ था।

एमडीएल ने इस पनडुब्बी को बनाया और फिर एक अन्य पनडुब्बी आईएनएस शंकुल के 28 मई, 1994 को हुए जलावतरण के काम में लग गया। ये पनडुब्बियां आज भी सक्रिय हैं। एमडीएल के एक अधिकारी ने कहा कि खान्देरी का नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर आधारित है। इस किले ने 17वीं सदी के अंत में समुद्र में उनके वर्चस्व को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी। खान्देरी टाइगर शार्क का भी नाम है। यह पनडुब्बी दिसंबर तक समुद्र में और पत्तन में यानी पानी के अंदर और सतह पर परीक्षणों से गुजरेगी। इसमें यह जांचा जाएगा कि इसका प्रत्येक तंत्र पूर्ण क्षमता के साथ काम कर रहा है या नहीं। इसके बाद इसे आईएनएस खान्देरी के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।

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