Edited By ,Updated: 22 Nov, 2016 01:06 PM
हायर एजुकेशन के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद अब वहां बसना आसान हो जाएगा।
नई दिल्लीः हायर एजुकेशन के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद अब वहां बसना आसान हो जाएगा। नए प्रवेश कार्यक्रम ईपीपी (एक्सप्रेस इंट्री प्रोग्राम) के तहत वहां स्थाई तौर पर रहने के लिए अंकों के महत्व को घटा दिया गया है।
150 अंकों की होती थी जरूरत
इस वक्त कनाडा में 50,000 भारतीय छात्र हैं और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। ट्रंप के चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद 19 नवंबर को कनाडा के नागरिकता व आव्रजन विभाग ने पूर्व के ईईपी के निर्देशों में संशोधन किया है। अब यहां पढऩे वाले विदेशी छात्रों को कोर्स व उसकी अवधि के आधार पर अंक दिए जाएंगे। इससे पहले आवेदन करने वालों को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 150 अंकों की जरूरत होती थी।
630 फीसदी का इजाफा
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दशकों में यहां पढऩे वाले विदेशी छात्रों की संख्या दुगुनी हुई है। 2004 में यहां 1.72 लाख विदेशी स्टूडेंट पढ़ रहे थे। 2015 में इन छात्रों की संख्या 3.56 लाख पहुंच गई। 2012 के बाद कनाडा पढऩे जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 630 फीसदी का इजाफा हुआ है। 2004 में यहां पढऩे वाले भारतीय छात्रों की संख्या 6,675 थी जोकि 2015 में बढ़कर 48,914 पहुंच गई।
सेलेक्शन प्रोसेस हुआ आसान
कनाडा में स्थाई निवास के लिए प्वाइंट सिस्टम है, जोकि आवेदक को उसके कौशल के आधार पर दिया जाता है। इनमें वर्क एक्सपीरियंस, भाषाई योग्यता और शिक्षा शामिल है। उसके बाद आवेदकों का चुनाव किया जाता है और पूल के आधार पर उन्हें अंक दिए जाते हैं। 19 नवंबर से अंकों के महत्व में बदलाव किया गया है। इससे सलेक्शन प्रोसेस आसान हो गया है।