जेतली का पलटवार, 80 की उम्र में पद की तलाश में 'यशवंत सिन्हा'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Sep, 2017 10:56 PM

jaitley s army overturned looking for the post of age 80

जेतली ने गुरुवार देर शाम यहां तीन मूर्ति भवन के सभागार में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा के साथ साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर भी निशाना साधा

नई दिल्लीः मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर एक लेख के माध्यम से कड़ा प्रहार करने वाले पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर वित्त मंत्री अरुण जेतली ने तीखा जवाबी हमला किया और उनका नाम लिए बिना कहा कि भारत के सत्तर साल और मोदी सरकार के साढ़े तीन साल के मौके पर वह अस्सी की उम्र में पद की तलाश में हैं। जेतली ने गुरुवार देर शाम यहां तीन मूर्ति भवन के सभागार में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा के साथ साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की कई बीमारियां-नीतिगत पंगुता और 1991 के मुद्राभंडार का संकट अब बीते वक्त की बात है। 

उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 70 साल के मौके पर ऐसे प्रयास होते रहते हैं कि बहस की विषयवस्तु को बदला जाए। उन्होंने कहा, मेरे पास पूर्व वित्त मंत्री होने या पूर्व वित्त मंत्री से अखबार के स्तंभकार बनने की वो सुविधा नहीं है। उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल की स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा, मैं आसानी से नीतिगत पंगुता भूल सकता हूं। उन्होंने 1991 में तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार में सिन्हा के वित्त मंत्री रहते विदेशी मुद्रा भंडार में केवल चार अरब डॉलर बचे रह जाने का भी उल्लेख किया। 

उन्होंने पी चिदंबरम एवं सिन्हा के एक दूसरे के बारे में कुछ बयानों का उल्लेख भी किया और कहा कि उन्हें संसद में पहली बार बोलने पर लालकृष्ण आडवाणी से सीख दी थी कि मुद्दों पर बोलना चाहिए, व्यक्ति पर नहीं। पर आज ऐसे समय जब भारत 70 वर्ष पूरे कर रहा है और मोदी सरकार के साढ़े तीन साल पूरे हो रहे हैं। कोई अस्सी की उम्र में पद की तलाश में है।  

नोटबंदी के फैसले का बचाव करते हुए जेटली ने कहा कि आर्थिक प्रणाली की सफाई कोई साधारण कदम या उपलब्धि नहीं है। भारत में कोई रास्ता नहीं था कि कोई भुगतान का दूसरा तरीका अपनाए बिना व्यापार कर सके। इसने हमें एक समाज के रूप में भ्रष्ट बना दिया था और इससे दुनिया में हमारी छवि बहुत खराब हो गयी थी। नोटबंदी से यह सुनिश्चित किया कि बाकाार में प्रचलित अज्ञात धन के मालिक का पता चल सके। 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में श्री चिदंबरम की आलोचना का जवाब देते हुए जेतली ने कहा कि जिन लोगों ने देश को नीतिगत पंगुता के गड्ढे में धकेला, जब उन्होंने जीएसटी को आते देखा तो कहने लगे कि इसे स्थगित कर दी। उन्होंने कहा कि अगर इसे इस साल घोषित किया जाता तो हम देश में राजनीतिक फंडिंग को वैधता कैसे दिलाते जिससे गुप्त लेनदेन खत्म होती। यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। 

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार खासकर संप्रग-2 के दौरान कई छोटे छोटे क्षेत्रों में विशेषाधिकारों के उपयोग या दुरुपयोग के कारण नीतिगत पंगुता थी जिसे मोदी सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया। मोदी सरकार ने लोगों को अपने विदेशी खातों का खुलासा करने का मौका दिया। उन्होंन कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को लेकर एक नयी इबारत लिखने का एक बहुत प्रभावी एजेंडा है। प्रत्यक्ष कर के आंकड़े पिछले साल की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक हैं और जिन्हें मंदी दिख रही है, उसका कहीं कोई असर नहीं है। 
 

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