उग्र प्रदर्शन के बीच जलीकट्टू बिल विधानसभा में पास

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2017 07:53 PM

jallikattu  police use baton charge to demonstrators

जल्लीकट्टू पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर चेन्नई की मरीना बीच पर जुटे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने आज सुबह वहां से जबरन हटा दिया।

चेन्नई: तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य विधानसभा ने बिना किसी बाधा के इस खेल का आयोजन करने के लिए आज एक संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। जल्लीकट्टू की अनुमति देने के लिए दो दिन पहले जारी अध्यादेश का स्थान लेने वाले पशुओं के साथ क्रूरता रोधी कानून, 1960 में संशोधन संबंधी इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। सभी पार्टियों के विधायकों ने इस कानूनी पहल का स्वागत किया। इस विधेयक को मुख्यमंत्री आे. पन्नीरसेल्वम द्वारा पेश किया गया और ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया गया।

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उग्र हुआ आंदोलन
जल्लीकट्टू के समर्थन में आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होता जा रहा है। पुलिस द्वारा जबरन हटाए जाने के बाद मदुरै के अलंगनल्लूर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ। चेन्नई में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने के बाहर गाड़ियों में आग लगा दी। इस संघर्ष में 20 पुलिसवाले घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसवालों पर पत्थरबाजी भी की। पुलिस के बल प्रयोग से 80 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं।
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लोग गाने लगे राष्ट्रगान 'जन-गण-मन'
पुलिसकर्मी जब मरीना बीच से प्रदर्शनकारियों को हटा रहे थे, तब लोग राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' गाने लगे। पुलिस ने इस दौरान मरीना बीच को जाने वाले तमाम रास्ते बंद कर दिए, वहीं लोगों को इलाके के पास-पास इकट्ठा नहीं होने दिया जा रहा है। जल्लीकट्टू को लेकर राज्य में जारी व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने एक अध्यादेश पारित कर सांडों को काबू करने से जुड़े इस पारंपरिक तमिल खेल की इजाजत दे दी थी लेकिन ये प्रदर्शनकारी इस पर स्थायी समाधान की मांग को लेकर अब भी डटे थे। उनका कहना था कि ये अध्यादेश तो छह महीने बाद निरस्त हो जाएगा, इसलिए सरकार इस पर एक स्थाई कानून बनाए। वहीं पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि अध्यादेश छह महीने बाद निरस्त होने की बात गलत है, हकीकत यही है कि इस अध्यादेश के बाद अब इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। आपका लक्ष्य अब पूरा हो चुका है, इसलिए अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर मरीना बीच खाली करें। हालांकि प्रदेशनकारी मरीना बीच छोड़ने को तैयार नहीं थे और उन्होंने पुलिस से दोपहर तक का वक्त मांगा। उनका कहना था कि वह पुलिस पर पूरा भरोसा करते हैं, लेकिन उन्हें अध्यादेश के बारे में चर्चा के लिए थोड़ा वक्त चाहिए। वहीं चेन्नई के अलावा मदुरै, कोयंबटूर और त्रिची से भी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया जा रहा है।

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DMK का वॉकआउट
सीएम पनीरसेल्वम ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि सोमवार को जल्लीकट्टू पर विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा। वहीं प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ विधानसभा से डीएमके ने वॉकआउट किया. लोकतांत्रिक रूप से प्रदर्शन कर रहे लोगों को बलपूर्वक हटाने के लिए डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने सरकार की निंदा की। राज्य के राज्यपाल विद्यासागर राव ने संबोधन में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

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जल्लीकट्टू का आयोजन, 3 की मौत
रविवार को तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया. इस दौरान पुडुकोट्टई में दो लोगों की खेल में भाग लेते हुए और मदुरै में एक व्यक्ति की विरोध प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई जबकि कई घायल हो गए। मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम मदुरै के आलंगनल्लूर में जल्लीकट्टू के खेल कार्यक्रम का उद्घाटन किए बगैर ही लौट गए क्योंकि प्रदर्शनकारी इस मुद्दे के स्थायी समाधान की मांग कर रहे थे।

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बता दें कि इस पारंपरिक खेल पर पिछले तीन साल से बैन लगा हुआ था। हालांकि लोगों की भावना को देखते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव ने शनिवार को जल्लीकट्टू पर अध्यादेश को मंजूरी देते हुए अंतत: बैन हटा लिया। फिर भी लोग मरीना बीच से हटने को तैयार नहीं है।

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