Edited By ,Updated: 18 Jan, 2017 03:57 PM
तमिलनाडु में सांडों पर काबू पाने के प्राचीन और लोकप्रिय खेल जलीकट्टू के आयोजन और पशु अधिकार संगठन पेटा पर प्रतिबंध की मांग कर रहे युवाओं का राज्यभर में हो रहा प्रदर्शन उग्र हो उठा है।
चेन्नई : तमिलनाडु में सांडों पर काबू पाने के प्राचीन और लोकप्रिय खेल जलीकट्टू के आयोजन और पशु अधिकार संगठन पेटा पर प्रतिबंध की मांग कर रहे युवाओं का राज्यभर में हो रहा प्रदर्शन उग्र हो उठा है। मदुरै, चेन्नई और कोयंबटूर में हो रहा प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहा। उधर, प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन बढ़ता जा रहा है। चेन्नई के मरीना बीच पर हजारों लोग इकट्ठे हो गए। इनमें अधिकतर स्टूडेंट्स और युवा हैं। युवाओं में गुस्सा हाल ही में खत्म हुए पोंगल के त्योहार पर जलीकट्टू का आयोजन न हो पाने के लिए है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में जलीकट्टू के आयोजन पर मई 2014 में रोक लगा दी थी।
जगह-जगह प्रदर्शन
चेन्नई में प्रदर्शनकारियों ने काले कपड़े पहनकर राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। राज्य के 2 मंत्रियों से बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाने के बाद सैंकड़ों कालेज छात्र और अन्य युवा अपनी मांग को लेकर मंगलवार रातभर मरीना बीच पर बैठे रहे। मदुरै में इस बात की झलक देखने को मिली कि प्रदर्शनकारियों का किसी राजनीतिक दल से कोई जुड़ाव नहीं है। यहां एआईएडीएमके और डीएमके, दोनों ही पार्टियों के नेताओं को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा।
इस मामले में मद्रास उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप से इनकार
अधिवक्ता के बालू ने मरीना मार्ग में जल्लीकट्टू समर्थकों के चल रहे विरोध प्रदर्शनों का खुली अदालत में उल्लेख किया। उन्होंने अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों को पेयजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। साथ ही मंगलवार शाम से चल रहे प्रदर्शन वाले स्थान में बिजली आपूर्ति बंद है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस.के. कॉल और न्यायामूर्ति एम सुंदर की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले ही उच्चतम न्यायालय में लंबित है और जब ऐसा होता है तो उच्च न्यायालय और तमिलनाडु सरकार कुछ नहींं कर सकती और इसके अलावा मरीना रोड प्रदर्शन करने की जगह नहीं है।