जेएनयू में हो रहा था यूजीसी प्रावधानों का उल्लंघन: जावडेकर

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2017 05:47 PM

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मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा कि जेएनयू में एेसे उदाहरण भी थे जहां एक प्रोफेसर 20-25 रिसर्च स्कॉलरांे को गाइड कर रहे थे

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा कि जेएनयू में एेसे उदाहरण भी थे जहां एक प्रोफेसर 20-25 रिसर्च स्कॉलरांे को गाइड कर रहे थे जबकि यूजीसी के प्रावधानों के अनुसार एक प्रोफेसर आठ रिसर्च स्कॉलरांे को ही गाइड कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक अदालत ने कहा है कि विश्वविद्यालय को यूजीसी के प्रावधानों को लागू करना चाहिए।  जावडेकर राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पीएचडी और जेएनयू से जुडे सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि यूजीसी प्रावधानों के अनुसार एक प्रोफेसर आठ छात्रों को गाइड कर सकते हैं जबकि एसोसिएट प्रोफेसर छह और असिस्टेंट प्रोफेसर चार स्कालरों को गाइड कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा कि विदेशों में यह संख्या और भी कम है लेकिन भारत में हम अधिक संख्या में पीएचडी चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि एक अदालत ने आदेश दिया है कि यूजीसी के मानदंड जेएनयू में भी लागू होने चाहिए। जेएनयू में पीएचडी की संख्या में कमी आने की सदस्यों द्वारा जतायी गयी आशंका पर जावडेकर ने कहा कि शिक्षकों के खाली पदों को जल्दी ही भरा जाएगा और इससे रिसर्च स्कालरों की संख्या में वृद्धि हो सकेगी।  

इससे पहले मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि 2013-14 में 23861 स्कालरों को पीएचडी मिली लेकिन 2014-15 में इसमें कमी दर्ज की गई और यह संख्या 21,830 हो गई। लेकिन 2015-16 में यह बढ़कर 24,171 हो गयी।  स्कालरशिप के बारे में सदस्यों द्वारा जतायी गई चिंता पर पांडेय ने कहा कि एेसी शिकायतों के निराकरण के लिए यूजीसी ने एक पोर्टल शुरू किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसकी राशि में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। 

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