जस्टिस कर्णन ने अब CJI को लिखा खत, सुप्रीम कोर्ट से मांगा 14 करोड़ हर्जाना

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 10:36 AM

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कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और संविधान पीठ के 6 अन्य जजों को खत लिखकर 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है।

नई दिल्लीः कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और संविधान पीठ के 6 अन्य जजों को खत लिखकर 14 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कर्णन ने खत में लिखा कि उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया गया और सरेआम उनकी बेइज्जती की गई जिसके हर्जाने के रूप में उन्हें यह रकम दी जाए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सी.एस. कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।

अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहने के कारण यह वारंट जारी हुआ है। पिछली सुनवाई में भी कर्णन स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई अवमानना कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए। 12 फरवरी को हुई सुनवाई में कर्णन और उनके वकील के शीर्ष कोर्ट में पेश नहीं होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कार्रवाई तीन हफ्ते के लिए टाल दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन द्वारा शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को लिखे गए पत्र को संज्ञान में लिया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि दलित होने के कारण उनका उत्पीड़न किया गया। न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट के कार्यरत जज पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई कर रहा है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट अपने ही पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई चला चुका है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में सात जजों की पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है।

यह है पूरा मामला
जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट तथा हाइकोर्ट के पूर्व व मौजूदा 20 जजों को भ्रष्ट बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फरवरी में पत्र लिखा था सर्वोच्च अदालत ने जस्टिस कर्णन के इसी पत्र पर संज्ञान लिया। जस्टिस कर्णन ने पहले ही कोलेजियम द्वारा उनके मद्रास से कोलकोता हाईकोर्ट में किए गए स्थानांतरण को चुनौती दे रखी है। इस मामले में वह आज सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने वाले थे। जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने पिछले साल मार्च में उनका स्थानांतरण कर दिया था। उन्होंने कहा कि दलित होने के कारण उनके साथ भेदभाव किया जाता है। पहले उन्होंने स्थानांतरण का विरोध किया था और उन्होंनें आदेश पारित कर उसे स्थागित कर दिया था तथा सीजेआई को नोटिस देकर जवाब मांगा था लेकिन बाद में वह मान गए। हालांकि उन्होंने मद्रास में अपना बंगला अब भी खाली नहीं किया है।

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