निंदा प्रस्ताव मामले में जस्टिस काट्जू को सुप्रीम कोर्ट का झटका

Edited By ,Updated: 15 Dec, 2016 02:34 PM

justice katju of the supreme court in the case of a resolution

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काट्जू महात्मा गांधी एवं सुभाष चंद्र बोस के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर...

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काट्जू महात्मा गांधी एवं सुभाष चंद्र बोस के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर संसद द्वारा जारी निंदा प्रस्ताव को शीर्ष अदातल से निरस्त कराने में असफल रहे। मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने न्यायमूर्ति काट्जू की याचिका निरस्त करते हुए कहा कि पूर्व न्यायाधीश की याचिका में कोई दम नहीं है। पीठ ने कहा कि संसद के दोनों सदनों द्वारा जारी किया गया निंदा प्रस्ताव बरकरार रहेगा।

पीठ की ओर से न्यायमूर्ति ललित ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायमूर्ति काट्जू की याचिका में कोई दम नहीं है। दरअसल, न्यायमूर्ति काटजू ने अपने बलॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश और आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजैंट बताया था। इस पर संसद के दोनों सदनों में उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव जारी किया गया था। काटजू ने निंदा प्रस्ताव निरस्त करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि न्यायमूर्ति काट्जू की याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए। श्री रोहतगी ने दलील दी थी कि जस्टिस काट्जू के विचार पर संसद के दोनों सदनों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा था कि अगर इस तरह के मामले की सुनवाई अदालत करेगी तो यह गलत प्रथा होगी। संसद के भीतर की कार्रवाई को न्यायिक समीक्षा के दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए, जबकि न्यायमूर्ति काट्जू का कहना था कि बिना उनका पक्ष जाने संसद ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया, जो उचित नहीं है।

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