MCD: हार के डर से बदली AAP, नहीं लेगी PM मोदी का नाम!

Edited By ,Updated: 14 Apr, 2017 06:16 PM

kejriwal changed strategy after defeat

पंजाब और गोवा में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में अपनी प्रचार रणनीति में बदलाव किया है। पिछले दो ...

नई दिल्ली : पंजाब और गोवा में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में अपनी प्रचार रणनीति में बदलाव किया है। पिछले दो साल से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं ने नकारात्मक प्रचार अभियान से अब खुद को दूर कर लिया है।

सकारात्मक प्रचार अभियान के साथ आगे बढ़ेगी पार्टी
दिल्ली की राजौरी गार्डन विधानसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी की जमानत जब्त होने के बाद निगम चुनाव अब आप के लिए लिटमस टैस्ट साबित होगा। इस हकीकत को समझते हुए आप ने प्रचार की रणनीति को बदला है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि निगम चुनाव में आप सकारात्मक प्रचार अभियान के साथ आगे बढ़ेगी। हालांकि पंजाब और गोवा चुनाव के बाद से केजरीवाल ने भी अब मोदी पर सीधे निशाना साधने से दूरी बना ली है।

2015 विधानसभा चुनाव में अपनाई गई रणनीति को अपनाएगी आप
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि नकारात्मक प्रचार के बजाय साल 2015 के विधानसभा चुनाव में अपनाई गई रणनीति की तरफ वापसी करना समय की मांग है। पिछले चुनाव में जिस तरह पार्टी ने 49 दिन की सरकार के कामों को जनता के समक्ष रखकर सकारात्मक प्रचार कर एेतिहासिक बहुमत हासिल किया था, उसी तरह निगम चुनाव में भी पार्टी ने केजरीवाल सरकार के दो साल के कामकाज को प्रचार का हिस्सा बनाया है। इतना ही नहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की जीत के मद्देनजर भी आप ने मोदी को निशाना बनाने से तौबा कर ली है।

यूपी और उत्तराखंड के प्रवासियों से डरे केजरीवाल
पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि दिल्ली में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मतदाताओं की भारी संख्या  को देखते हुए मोदी विरोध का असर उल्टा पड़ सकता है। इससे जनता का आप के प्रति गुस्सा बढऩे का जोखिम ज्यादा है। पार्टी ने मोदी को निशाना बनाने के अब तक के अनुभव से सबक लेते हुए प्रचार की रणनीति को लेकर यूटर्न लिया है।

पार्टी के नेता यह मानने लगे हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी सिर्फ मोदी विरोध के इर्दगिर्द घूमती प्रचार नीति का नतीजा था कि पार्टी की जीत सिर्फ पंजाब की चार सीटों तक सिमट कर रह गई और केजरीवाल सहित सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए। नतीजतन अब आप ने निगम चुनाव में सिर्फ केजरीवाल सरकार के बेहतर कामों को प्रचार के केन्द्र में रखा है। 

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