केजरी ने पीएम नहीं, 125 करोड़ जनता का किया अपमान: हर्षवर्धन

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2017 08:41 AM

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दिल्ली की कृष्णा नगर सीट से चार बार विधानसभा सदस्य रहे और 1993 में गठित हुई पहली विधानसभा में स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन अब मोदी सरकार में विज्ञान एवं तकनीकि केंद्रीय मंत्री हैं।

नई दिल्लीः दिल्ली की कृष्णा नगर सीट से चार बार विधानसभा सदस्य रहे और 1993 में गठित हुई पहली विधानसभा में स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन अब मोदी सरकार में विज्ञान एवं तकनीकि केंद्रीय मंत्री हैं। केजरीवाल की पहली सरकार 2013 में उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी। उनका स्पष्ट कहना है कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा का मुकाबला किसी के साथ नहीं है। यदि फिर भी पूछा जाए तो सामने केवल कांग्रेस ही है। नगर निगम के इस चुनाव में भी 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की तरह वातावरण दिख रहा है। ‘नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी’ कार्यालय में केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।

प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :
दिल्ली में नगर निगम के चुनाव हैं। चुनाव आयोग को बताना पड़ रहा है कि निगम का काम क्या है? 10 साल से भाजपा शासन में है। इस बार भी लोग भाजपा को क्यों चुनें?
देश की राजनीति में अगर कोई पार्टी ऐसी है जो राष्ट्रधर्म का पालन करती है, वह भाजपा है। इस पार्टी का अपना इतिहास और विरासत है, जो पं. दीनदयाल उपाध्याय और पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से शुरू होती है। उसे अटल बिहारी वाजपेयी जैसे लोगों ने जीवित रखा और आज के युग में नरेंद्र मोदी उसी विरासत के प्रतीक हैं और उनके साथी अमित शाह उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। मोदी जी वास्तव में देश को बदलना चाहते हैं। स्वच्छता की बात हो, शौचालय बनाने की योजना, जन-धन योजना या फिर उज्जवला योजना और नोटबंदी योजना की बात हो, सभी देशहित में सर्वोपरि है। पिछले तीन सालों में 3 से 4 करोड़ शौचालय बना दिए गए हैं। गरीबों की मदद के लिए अब तक 28-30 करोड़ लोगों के बैंकों में जन-धन योजना के तहत खाते खोले गए हैं। यह गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ है। आज गरीब के खाते में सीधा बैंक से पैसा जाता है। पहले एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक रुपए यदि गरीब के पास भेजते हैं, तो उसमें से केवल 15 पैसे ही गरीब के खाते में पहुंचते हैं, लेकिन आज पूरे 100 पैसे गरीब के खाते में पहुंच रहे हैं। देश हित में कुछ करने के लिए और सोचने का जज्बा होना चाहिए। निगम और उससे जुड़ी योजनाएं ठीक से लागू हों, इसलिए जरूरी है कि भाजपा को वोट दिया जाए।

केजरीवाल सरकार के कामकाज के बारे में आपकी क्या राय है?
एक पार्टी को दिल्ली में जबरदस्त समर्थन मिला, लेकिन उसने 2 सालों में क्या किया? देशवासी सब कुछ जान गए हैं। अब नरेंद्र मोदी राजधानी में अनुकूल व्यवस्था के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन प्रतिकूल किस्म के लोग पीएम पर दोषारोपण कर रहे हैं और सफाईकर्मियों को वेतन नहीं देना चाहते। इन्होंने काम कम, बेकार की बातें ज्यादा की हैं।

नोटबंदी के बारे में आपकी क्या राय है?
नोटबंदी एक बड़ा फैसला था। पहले कुछ लोगों ने इसकी आलोचना की, लेकिन बाद में लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी वास्तव में गरीबों के कल्याण के लिए काम और लोगों की तकलीफों को दूर करना चाहते हैं।

आपकी नजर में दिल्ली नगर निगम का चुनाव केजरीवाल सरकार के प्रदर्शन पर भी है?
पहली बार उन्होंने सिद्धांतों को किनारे रखकर सरकार बना डाली थी, दूसरी बार सिर्फ प्रचार किया। लेकिन,  2 साल में दिल्ली के लोगों का पैसा फूंककर बाहरी राज्यों में जाकर विज्ञापन प्रकाशित किए। आखिर उसका क्या औचित्य है। राज्य की जनता को केवल बेवकूफ बनाया।

दिल्ली में 2013 में पहली बार हुए चुनाव में आपको 32 सीटें मिली थीं, आपने सरकार नहीं बनाई, जबकि अभी दूसरे राज्यों में कम सीटें मिलने के बावजूद भाजपा ने सरकार बनाई?
देखिए किस राज्य में क्या परिस्थिति रही, नहीं पता। 2013 के चुनाव नतीजों के बाद हमने सरकार नहीं बनाई जबकि केजरीवाल ने ‘दुश्मन कांग्रेस’ के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। मेरा साफ कहना था कि जब जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया और उनके पास समर्थन भी नहीं है तो वह सरकार बनाने का दावा नहीं पेश करेंगे।

केजरीवाल कहते हैं कि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है और गंदगी से भी जनता को निजात नहीं मिली है?
निगम में भ्रष्टाचार काफी कम हुआ है और सफाई को लेकर भी बड़े प्रयास हुए हैं। भ्रष्टाचार दूर करने के उद्देश्य से नए लोगों को टिकट दिया गया है और उम्मीद करते हैं कि गंदगी समाप्त करने के लिए और कदम उठाएंगे।

मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि यदि निगम चुनाव में भाजपा जीत गई तो दिल्ली में बिजली-पानी महंगी हो जाएगी?
केजरीवाल बुरी तरह से हताश हैं और वह कुछ भी बोल सकते हैं। ऐसा केवल वह लोगों को गुमराह करने के लिए कह रहे हैं। यह उनके द्वारा धोखा देने, झूठ बोलने की पराकाष्ठा है। जब बिजली और पानी दिल्ली सरकार के पास है, तो बीजेपी भला क्या कर सकती है?

केजरीवाल कहते हैं कि निगम चुनाव जीतने पर हाउस टैक्स माफ कर देंगे?
वह हाउस टैक्स माफ कर ही नहीं सकते। यह केवल संसद का अधिकार है। केजरीवाल इस तरह की झूठी बातें कर जनता को केवल गुमराह कर रहे हैं। आगामी 26 अप्रैल को जब नगर निगम चुनाव में मतगणना में हार जाएंगे तो कुछ तो बहाने उन्हें चाहिए। वर्ष 1998 से आज तक मैंने केवल ईवीएम से ही चुनाव होते देखे हैं। तब से आज तक अटल जी, डॉ. मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव, देवगोड़ा की सरकारें बनीं और राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारें बनीं, कभी किसी ने ईवीएम पर सवालिया निशान नहीं लगाया। दरअसल, केजरीवाल हताशा में ऐसा बोल रहे हैं। जब उनकी विधानसभा चुनाव में 67 सीटें आईं, तब ईवीएम खराब नहीं थीं, लेकिन जब गोवा, पंजाब, यूपी और दिल्ली में राजौरी गार्डन का उपचुनाव हार गए, तब से ही हाय तौबा मचा रहे हैं।

केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से आपकी तारीफ की थी और कहा था कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए वह आपसे सलाह लेते रहेंगे, क्या कभी राय ली?
सत्ता में आने के बाद उन्होंने मुझसे कोई सलाह नहीं ली और न ही मैं इंतजार कर रहा हूं। बेहतर होगा कि वह अपनी सारी बुद्धिमत्ता अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लगाएं। जिस जनता ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया है, उनकी तकलीफों को दूर करें। तभी वह देश का, दिल्ली का और समाज का भला कर सकते हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि जिस वातावरण में वह राजनीति में आए, उसी को अक्षुण बनाए रखने के लिए उन्हें प्रयास करना चाहिए। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि केजरीवाल का ध्यान दिल्ली पर नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री के बारे में अपशब्द बोलकर वह देश की 125 करोड़ जनता का अपमान कर रहे हैं। देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। अगर वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की बजाए दिन-रात केवल प्रधानमंत्री को अपशब्द कहने में लगाएंगे तो उसका अभिप्राय  125 करोड़ लोगों को अपशब्द कहने जैसा होगा, क्योंकि प्रधानमंत्री किसी जिले, राज्य या पार्टी का नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के होते हैं और उन पर उंगली उठाना पूरे देश की जनता के खिलाफ बोलना है।

कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि इस बार वह  निगम की सत्ता में आई तो अनधिकृत कॉलोनियों के विकास पर 2 हजार करोड़ रुपए का अलग से कोष बनाकर खर्च किया जाएगा, क्या कहेंगे?
शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। 2002 से 2007 तक निगम की सत्ता में कांग्रेस ही काबिज थी। उनके कार्यकाल में सदैव अनधिकृत कॉलोनियों के लोगों का केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से ही इस्तेमाल किया गया। उनमें स्कूल, पार्क, खेल के मैदान और स्वास्थ्य केंद्र बनने चाहिए, लेकिन उन लोगों को चुनाव के दौरान ही हथियार नहीं बनाना चाहिए। केजरीवाल सरकार ने भी दावे तो बड़े-बड़े किए थे, लेकिन आज तक उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया है। जिसकी वजह से अनधिकृत कॉलोनियों के लोग काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं।

केजरीवाल कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने माफिया राज खत्म कर दिया है?
मेरी राय एकदम अलग है। मेरा मानना है कि दिल्ली में माफिया राज आम आदमी पार्टी के मंत्रियों और केजरीवाल ने शुरू कर दिया है। पानी टेंडर माफिया इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। इतना ही नहीं इनके कई मंत्री और विधायक कई मामलों में फंसे हुए हैं। इसके बावजूद मंत्री ही फिजूलखर्ची कर रहे हैं।

दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा का सीधा मुकाबला किस पार्टी के साथ मान रहे हैं?
वैसे तो किसी के साथ नहीं लेकिन कांग्रेस से लग रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव में कोई हवा नहीं थी, केवल सत्ता विरोधी लहर थी। हर तरफ लोगों में नरेंद्र मोदी के प्रति वातावरण दिख रहा था और आज भी वही हालात हैं पर वर्तमान चुनाव में केजरीवाल की पार्टी कहीं नहीं है।

राष्ट्रपति पद के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तो कभी लाल कृष्ण अडवाणी का नाम चर्चा में आता है, आपकी क्या राय है?
इस विषय पर मैं किसी तरह का अधिकारिक जवाब नहीं दे सकता है। हां, यह जरूर कहूंगा कि राष्ट्रपति पद पर जो भी व्यक्ति बैठेगा वह निश्चित रूप से योग्य और पद की गरिमा बढ़ाने वाला होगा।

कुलभूषण जाधव के मामले में विपक्षी केंद्र सरकार पर ही लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं, क्या कहेंगे?
जाधव ही नहीं, जब भी किसी अन्य देश में कोई भी भारतीय परेशानी में आते हैं तो केंद्र की मोदी सरकार उनकी हर तरह से मदद करती है और कई उदाहरण हैं जिसमें सरकार ने अति सक्रियता दिखाकर मदद की है। 

मोदी-मोदी के साथ अब योगी-योगी हो रहा है। चर्चा है कि नरेंद्र मोदी के बाद अब योगी आदित्यनाथ को भावी पीएम के रूप में देखा जा रहा है?
जनता के बीच बातें होना स्वाभाविक है। जिस तरह से योगी काम कर रहे हैं उनका नाम हो रहा है। लेकिन, जहां तक भावी पीएम जैसी बात है तो मेरे हिसाब से ऐसा अभी कहीं कुछ नहीं है। अभी कई साल तक नरेंद्र मोदी पूरी ताकत और जोश के साथ काम करेंगे और उनके अतिरिक्त किसी और के लिए मैं सोच ही नहीं सकता।

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि नोटबंदी से बहुत कुछ प्रभाव नहीं पड़ा है। कालाधन के लिए और भी रास्ते निकाल लिए जाएंगे, आप क्या कहेंगे?
राजन जी बड़े अर्थशास्त्री हैं, उनकी बात पर मैं कुछ नहीं कहूंगा। हां, यह जरूर कहूंगा नोटबंदी से 14 लाख करोड़  रुपए बैंक के सिस्टम में आए। इतनी बड़ी रकम सिस्टम में आने से देश में कल्याणकारी योजनाओं पर काम तेजी से शुरू हो गया है। एक बात और दुनियाभर में बहुत कम लोगों ने भारत में नोटबंदी के फैसले को सही नहीं ठहराया। ज्यादातर लोगों ने इसकी तारीफ की। यही नहीं नोटबंदी के बाद से देश आॢथक रूप से और मजबूत हो गया है।

गरीब और व्यापारी हैं खुश
एक तरफ आप कहते हैं कि सब्सिडी में यकीन नहीं करते दूसरा आप लोगों के खातों में सीधे पैसे डाल रहे हैं। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार का ध्यान केवल गरीबों पर है इससे व्यापारी वर्ग खासा नाराज है?
केंद्र की कई योजनाएं हैं जो कल्याणकारी हैं। फ्री कुछ नहीं दिया जाता। पात्र लोगों को ही सब्सिडी दी जाती है। बड़ी बात यह है कि पहले यह सब्सिडी पात्र लोगों तक कम ही पहुंचती थी। सीधे बैंक में जमा किए जाने से अब तक 36 हजार करोड़ रुपए की सेविंग्स हो गई है। हमने सब्सिडी के नाम पर बिजली-पानी फ्री नहीं कर दिया। रहा सवाल व्यापारी वर्ग का तो पीएम ने उनके लिए आदर्श वातावरण बनाने की कोशिश की है। मैं समझता हूं कि उत्तर प्रदेश में व्यापारी वर्ग के समर्थन के बिना इतना बड़ा जनादेश नहीं मिलता। मुस्लिम बंधु भी साथ आ रहे हैं। वरना इस तरह का चुनाव परिणाम यूपी में देखने को नहीं मिलता। गरीब और व्यापारी दोनों मोदी सरकार में खुश हैं।

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