पुलवामा हमला : आई.जी. कश्मीर की सुरक्षा में तैनात था मारे गए आतंकी का पिता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 03:43 PM

killed militant was the son of police constable

साल 2017 के आखिरी दिन दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने नए साल के जश्न को थोड़ा फीका कर दिया, लेकिन इस हमले को हमारे साहसी सैनिकों के अदम्य साहस ने ज्यादा कामयाब होने नहीं दिया। हालांकि हमले में 5 सैनिक शहीद हो गए। वहीं दो आतंकियों को...

श्रीनगर : साल 2017 के आखिरी दिन दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने नए साल के जश्न को थोड़ा फीका कर दिया, लेकिन इस हमले को हमारे साहसी सैनिकों के अदम्य साहस ने ज्यादा कामयाब होने नहीं दिया। हालांकि हमले में 5 सैनिक शहीद हो गए। वहीं दो आतंकियों को मार गिराया गया। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली। 31 दिसंबर को जिस चार मंजिला इमारत में फिदायीन हमला किया गया उसे रविवार रात को ही उड़ा दिया गया था। हमले में मारे गए 2 फिदायीनों में एक की शिनाख्त होने पर सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए। फिदायीन हमले में मारा गया एक आतंकी पुलिस कांस्टेबल का बेटा निकला।


इस नए खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को हैरत में डाल दिया है। मारा गया फिदायीन पुलिस कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद खांडे का बेटा है। कांस्टेबल खांडे को कुछ महीने पहले तक पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.) कश्मीर मुनीर खान की सुरक्षा में लगाया गया था। मुनीर को हाल ही में तरक्की मिली और एडीजी रैंक के अधिकारी बने थे। हालांकि कुछ समय बाद पुलिस कांस्टेबल खांडे के बेटे के आतंकी संगठन के साथ जुडऩे के सुराग मिलने पर उनको मुनीर की सुरक्षा टीम से हटा दिया गया था।  किसी भी तरह विवाद से बचने के लिए खांडे को सुरक्षा से हटाया गया था। मुनीर ने आशंका जताई थी कि ऐसे सैकड़ों युवा आतंकी संगठन से जुड़े हो सकते हैं।

बाप पुलिस में बेटे ने चुनी आतंक की राह
पुलवामा हमले में मारे गए कांस्टेबल के फिदायीन बेटे का नाम फरदीन अहमद खांडे है। जैश का यह आतंकी महज 17 साल का है। तीन महीने पहले ही उसने आतंक की राह चुनी। इन तीन महीनों में ही उसका ब्रेन वॉश इस कदर कर दिया गया कि वह फिदाइन बन गया, फरदीन दसवीं में पढ़ाई करता था। फरदीन हिजबुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के गांव त्राल का ही रहने वाला था। दूसरे फिदाइन की शिनाख्त मंजूर बाबा के रूप में हुई है। उसकी उम्र 22 थी। मंजूर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले का ही रहने वाला था, तीसरा आतंकी देर शाम तक इमारत में छिपा हुआ था।

2003 के बाद पहला स्थानीय फिदायिन
कश्मीर में 2003 के बाद यह पहला मौका है जब कोई स्थानीय नागरिक आतंकी फिदायीन बना है। कश्मीर के युवाओं को आतंक के रास्ते से हटाने के लिए सेना ने बीते कई वर्षों से तमाम प्रोत्साहन योजनाएं चलाईं, लेकिन स्थानीय आतंकी के फिदायीन बनने के इस खुलासे ने सबकी नींद उड़ा दी है।
 

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