Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 01:31 PM
रामनाथ कोविंद ने आज देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में संविधान की रक्षा की शपथ ली। कोविंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। कोंविद ने जीवनभर कई तरह की भूमिका निभाई हैं।
नई दिल्लीः रामनाथ कोविंद ने आज देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में संविधान की रक्षा की शपथ ली। कोविंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। कोंविद ने जीवनभर कई तरह की भूमिका निभाई हैं। इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर भी काम किया लेकिन एक ऐसा काम है जिसे कोविंद राष्ट्रपति बनने के बाद पूरा करना चाहेंगे। इस काम को करने की उनकी सालों से तमन्ना थी। दरअसल उनकी ये इच्छा जुड़ी है 1962 के भारत-चीन युद्ध से।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1997 में जब देश में संयुक्त मोर्चे की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री थे, तब कोविंद राज्यसभा से सांसद हुआ करते थे। उस समय कोविंद ने मांग की थी कि हेंडरसन बरूक्स-भगत रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के कारणों का पता चल जाता लेकिन तब यादव ने यह कहकर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया था कि हम उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते क्योंकि ये बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है।
1962 के युद्ध में भारत की हार के बाद भारत सरकार ने एक रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उस रिपोर्ट को अलमारी में बंद कर दिया था कि ये रिपोर्ट क्लासिफाइड है और इसे यूं ही सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। तब से लेकर अब तक देश में कई सरकारें आईं लेकिन कभी भी किसी सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। अब राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर बनेंगे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता हैं कि वे उस रिपोर्ट को मंगवाकर पढ़ सकते हैं और हालांकि अब कोविंद के कर्तव्य और पद की गरिमा बढ़ गई है इसलिए हो सकता है वे भी उस रिपोर्ट को सार्वजनिक न कर पाएं।