VIDEO: कुमार विश्वास ने कुछ इस तरह याद दिलाई गधों की प्रासंगिकता

Edited By ,Updated: 26 Feb, 2017 11:16 AM

kumar vishwas poem on donkey

चुनावी दौर में गधों पर मचे सियासी घमासान मे अब आम आदमी पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास भी कूद पड़े हैं। विश्वास ने ‘गधे’ वाले विवाद पर एक वीडियो पोस्ट किया है।

नई दिल्ली: चुनावी दौर में गधों पर मचे सियासी घमासान मे अब आम आदमी पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास भी कूद पड़े हैं। विश्वास ने ‘गधे’ वाले विवाद पर एक वीडियो पोस्ट किया है। वीडियो में विश्वास हास्य कवि स्वर्गीय ओमप्रकाश आदित्य की एक कविता सुनाते हैं। कविता की लाइन गाते हुए कुमार विश्वास बताते हैं कि ओमप्रकाश आदित्य ने उनको और बाकी कई लोगों को कई बार यह कविता सुनाई थी लेकिन विश्वास नहीं जानते थे कि आज के दौर में वह कविता इतनी प्रसांगिक होगी। कविता में विश्वास गाते हैं, ‘इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं, जिधर देखता हूं गधे ही गधे हैं, गधे हंस रहे हैं, आदमी रो रहा है हिंदुस्तान में यह क्या हो रहा है?’
 

विश्वास आगे गाते हैं, ‘जवानी का आलम गधों के लिए है, ये रसिया ये बालम गधों के लिए है, ये दिल्ली ये पालम गधों के लिए है, ये संसार सालम गधों के लिए है, पिलाए जा साकी, पिलाए जा डटके, तू विस्की के मटके के मटके के मटके, मैं दुनिया को भूलना चाहता हूं, गधों की तरह अब झूमना चाहता हूं और घोड़ों को नहीं मिलती घास देखो, गधे खा रहे चवन्प्राश देखो।’ कविता को इस अंदाज में पेश किया गया कि जैसे गधे, इंसानों से भी श्रेष्ठ हों। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने गधों पर इस तरह से कविता सुनाकर कहीं न कहीं इस मुद्दे पर गरमाई सियासत में अपनी भी एंट्री करा ली है।

बता दें कि यह विवाद अखिलेश यादव के बयान के बाद से शुरू हुआ। दरअसल अखिलेश ने रैली में कहा था कि सिने स्टार अमिताभ बच्चन को गुजरात के गधों का प्रचार नहीं करना चाहिए ये उनको शोभा नहीं देता। अखिलेश के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा था कि लोग चाहें तो गधे से भी सीख ले सकते हैं क्योंकि वह काफी मेहनती होता है। मैं खुद भी गधों की तरह ही काम करता हूं। पीएम ने कहा था क्या अकिलेश गधों से डर गए हैं।

 

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