Exclusive: नीतीश का नया दांव, लालू के लिए आर या पार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jul, 2017 07:00 PM

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लालू प्रसाद यादव के परिवार पर पड़े केंद्रीय एजेंसियों के छापों के बाद सियासी चक्रव्यूह में फंसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गेंद एक बार फिर दांव खेला है।

नई दिल्ली: लालू प्रसाद यादव के परिवार पर पड़े केंद्रीय एजेंसियों के छापों के बाद सियासी चक्रव्यूह में फंसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार दांव खेला है। उन्होंने खुद सामने न आते हुए अपनी पार्टी जदयू के माध्यम से गेंद एक बार फिर लालू के पाले में डाल दी है। उनके पुत्र तेजस्वी मामले में जदयू ने राजद को अल्टीमेटम दिया है। वह चार दिन में यह फैसला लें वरना पार्टी कोई खुद बड़ा एलान कर सकती है। सीएम नीतीश इस पूरे घटनाक्रम में खुद तो सामने नहीं आए और लालू को झटका भी दे दिया।  लालू के पुत्र और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मामले में जदयू द्वारा इस मामले में राजद को चार दिन में जवाब देने के लिए कहा गया है। हालांकि नीतीश पूरे मामले में खुद सामने नही आए और राजनीतिक रुप से खुद को मामले से अलग रखने की कोशिश की। नीतीश की पार्टी जनता दल (यू) ने इस मामले में राजद को चार दिन का अल्टीमेटम दिया। इससे पहले कल राजद की बैठक में भी इस मामले पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी थी। 
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लालू के लिए आर या पार
जजदयू की बैठक में इस पूरे मामलें की चर्चा की गई। जदयू के फैसले के बाद के बाद लालू के यह लड़ाई अब आर-पार की हो गई है। लालू को न सिर्फ अपने बेटे को कानूनी रूप से मामले में बेकसूर साबित करना है बल्कि तेजस्वी के करियर के इस नाजुक मोड़ पर ऐसा सियासी फैसला भी लेना है जिससे वे पार्टी और पुत्र दोनों के भविष्य को सुरक्षित कर सकें। लालू समर्थन वापिस लेते हैं तो सत्ता हाथ से निकल जाएगी और यदि बेटे को सरकार से बाहर निकालते हैं तो तेजस्वीर के राजनीतिक करियर का ये बड़ा सियासी झटका होगा। लिहाजा अगले चार दिन लालू को ऐसे सियासी तिकड़म लड़ाने हैं जिससे वह मौजूदा संकट से पार पा सकें। 
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नीतीश ने क्यों बनाई दूरी
नीतीश की छवि बिहार में मिस्टर क्लिन की है और उनपर किसी तरह कि वित्तय गड़बड़ी का कोई दाग नहीं है। नीतीश ये संदेश नहीं देना चाहते कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अपनी कैबिनेट के सदस्या का बचाव कर रहे हैं। नीतीश  ने पार्टी की बैठक के भीतर तो इस मामले में अपना स्टेंड सपष्ट किया लेकिन मीडिया का सामने खुद नहीं बोले और पार्टी रसे बयान जारी करवाया। नीतीश को इस बात की चिंता सता रही है यदि उन्होंने इस मामले में तेजस्वी का बचाव किया और बाद में तेजस्वी के खिलाफ सबूत सामने आगए तो तेजस्वी को बचाने के चक्कर में नीतीश अपनी छवि खराब ने कर बैठें। नीतीश की छवि ही उनकी सियासी पूंजी है । इसी छवि के आधार पर वह दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं और इसी छवि के चलते वह प्रधानमंत्र बनने का सपना संजो रहे थे। 

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