Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 11:21 PM
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा रा’य सभा से इस्तीफा देने के कुछ घंटे के बाद ही राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मायावती को राजद के कोटे से बिहार...
नई दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा राज्यसभा से इस्तीफा देने के कुछ घंटे के बाद ही राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मायावती को राजद के कोटे से बिहार से राज्यसभा सदस्यता की पेशकश कर दी।
हालांकि इस मामले पर अभी मायावती की प्रतिक्रिया आना अभी बाकी है लेकिन यदि मायावती ने लालू का ऑफर स्वीकारा तो बिहार और उत्तर प्रदेश की लोकसभा की 120 सीटों पर समीकरण बदल जाएंगे। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 और बिहार में 40 सीटें हैं।
लालू ने क्यों किया ऑफर
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ सियासी लुका-छिपी का खेल खेल रहे लालू ने मायावती को यह ऑफर देकर बिहार के दलित वोटरों को भी संदेश देने की कोशिश की है। बेटे तेजस्वी यादव पर पड़े छापों के बाद लालू सियासी चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं और उन्हें भी कांग्रेस के अलावा अन्य नेताओं के साथ की तलाश है। कांग्रेस इस मामले में लालू के साथ खड़ी है और पार्टी ने बाकायदा इस मामले में आधिकारिक तौर पर लालू यादव का बचाव भी किया था। ऐसे में यदि मायावती भी लालू के साथ आती हैं तो इससे लालू को मजबूती मिलेगी लिहाजा लालू एक तीर से दो निशाने साधने के मकसद से मायावती को ऑफर दे रहे हैं।
बिहार में खाली होंगी छह सीटें
अगले साल 2 अप्रैल को बिहार से राज्यसभा की छह सीटें खाली होंगी। अगर महागठबंधन बना रहता है तो पांच सीटें उसकी तीनों पार्टियों को मिलेंगी। राजद और जदयू को दो-दो और कांग्रेस को एक सीट मिलेगी जबकि एक सीट भाजपा के खाते में जाएगी। लालू प्रसाद यादव को रणनीतिक तौर पर मायावती को एक सीट देने का कोई सियासी नुकसान नजर नहीं आता।
बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति
राजद - 80 सीटें
जदयू - 71
भाजपा - 53
कांग्रेस - 27
अन्य - 12
मायावती के पास 20 फीसदी का पक्का वोट बैंक
2014 के लोक सभा चुनाव के दौरान बुरी से बुरी हालत में भी मायावती की पार्टी को 19.77 फीसदी वोट हासिल हुए थे जबकि इस साल हुए विधान सभा चुनाव में भी बसपा को 22. 23 फीसदी वोट हासिल हुए थे। मायावती के साथ साथ लालू भी इस बात को समझते हैं। उत्तर प्रदेश के साथ लगते बिहार के कुछ इलाकों के दलितों में भी मायावती का प्रभाव है लिहाजा यदि मायावती और लालू की जोड़ी भी साथ आई तो दोनों राज्योँ में चुनावी गणित बदल सकता है।