‘व्यापार एवं कर विभाग में खाली पदों के बारे में दिल्ली सरकार के दावे को भ्रमित करने वाला’

Edited By ,Updated: 19 Mar, 2017 03:35 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के व्यापार एवं कर विभाग में पदों को भरे जाने के बारे में प्रदेश सरकार के दावों को भ्रमित करने वाला बताया है और प्रधान सचिव (सेवा)

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के व्यापार एवं कर विभाग में पदों को भरे जाने के बारे में प्रदेश सरकार के दावों को भ्रमित करने वाला बताया है और प्रधान सचिव (सेवा) से अदालत के समक्ष उपस्थित होने और स्थिति के बारे में चीजें स्पष्ट करने को कहा। 

न्यायाधीश एस रवीन्द्र भट्ट तथा न्यायाधीश दीपा शर्मा ने कहा कि खाली पदों के आंकड़े मेल नहीं खाते और यह पूरी स्थिति पर गुमराह करने वाली तस्वीर देता है। उच्च न्यायालय इस आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सरकार के मूल्य वद्र्धित कर अधिकारी (वीएटीआे) तथा अतिरिक्त मूल्य वद्र्धित कर अधिकारी (एवीटीआे) के जो खाली पद के आंकड़े दिए गए हैं, उसमें उन अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया है जो अन्य विभाग में तैनात हैं।   

पीठ ने कहा, ‘‘यह दावा कि वीएटीआे में केवल 18 पद खाली हैं, गलत है। इसमें उन 35 अधिकारियों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है जो वेतन मकसद से तो विभाग में नियुक्त जरूर हैं पर सेवा अन्य विभाग में दे रहे हैं।’’ अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के दिन प्रधान सचिव (सेवा) से उपस्थित होने को कहा और उनसे सितंबर 2016 से वीएटीआे और एवीएटीआे कैडर में काम कर रहे अधिकारियों की वास्तविक संख्या तथा वेतन मकसद से सैद्धांतिक रूप से नियुक्त अधिकारियों के मतलब के बारे में हलफनामा देने को कहा। पीठ ने रेखांकित किया कि विभाग में सितंबर 2016 से 1.48 लाख रिफंड दावे लंबित हैं। अदालत एक कंपनी की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें वैट रिफंड के आवेदन के निपटान में देरी के मुद्दे को उठाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी। 

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