नीति आयोग का सुझाव: एकसाथ हों लोकसभा: विधानसभा चुनाव

Edited By ,Updated: 30 Apr, 2017 03:50 PM

lok sabha and assembly elections together policy commission

नीति आयोग ने सुनवाई में विलंब और लंबित मामलों के मुद्दे के समाधान के लिए ‘न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक’ शुरू करने की सलाह दी है।

नई दिल्लीः नीति आयोग ने सुनवाई में विलंब और लंबित मामलों के मुद्दे के समाधान के लिए ‘न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक’ शुरू करने की सलाह दी है। आयोग का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले न्यायिक प्रणाली में लंबे समय तक अटक जाते हैं। उसने उन्हें निबटाने के लिए समय-सीमा तय करने की सिफारिश की है। साल 2024 से लोकसभा अैर विधानसभा चुनावों को एक साथ करवाने का सुझाव नीति आयोग ने दिया है. वह इसलिए ताकि ‘प्रचार मोड’ के कारण शासन व्यवस्था में पड़ने वाले व्यवधान को कम से कम किया जा सके। इस संबंध में विस्तृत जानकारी का उल्लेख करते हुए नीति आधारित इस थिंक टैंक ने कहा कि इस प्रस्ताव को लागू करने से ‘‘अधिकतम एक बार कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल में कुछ कटौती या विस्तार’’ करना पड़ सकता है।

आयोग ने नोडल एजेंसी यानी चुनाव आयोग को इस पर गौर करने को कहा और एकमुश्त चुनावों का रोडमैप तैयार करने के लिए संबंधित पक्षकारों का एक कार्यसमूह गठित करने का सुझाव दिया। वहीं आयोग ने 2017-18 से 2019-20 के लिए तीन साल की मसविदा कार्रवाई कार्यसूची में अनेक न्यायिक सुधार की सलाह दी है। इनमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों केे इस्तेमाल और न्यायिक नियुक्तियों को चुस्त-दुरुस्त करना शामिल हैं।  यह मसविदा नीति आयोग के संचालन परिषद सदस्यों को 23 अप्रैल को वितरित किया गया। परिषद के सदस्यों में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि ‘‘अनियमितता के घटित होने की तारीख से ले कर अंतिम चरण तक पहुंचने में कोई प्रमुख सतर्कता मामला आठ साल’’ से ज्यादा समय लेता है। उसने भ्रष्टाचार के मामलों में नीति-निर्धारण की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत पर बल दिया है।

रिपोर्ट में ‘न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक’ शुरू करने की भी सलाह दी है। मसौदा में कहा गया है, ‘‘इस तरह का कोई सूचकांक उच्च न्यायालयों की मदद के लिए स्थापित किया जा सकता है और मुख्य न्यायाधीश विलंब घटाने के लिए जिला अदालतों और निम्न अदालतों के स्तर पर कार्यप्रदर्शन एवं प्रक्रिया सुधार पर निगाह रखेंगे।’’ इसमें कहा गया है कि इसमेें विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए गैर-अनिवार्य समयसीमाएं तय करने की जरूरत होगी।

 

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