6 कांग्रेसी नेताओं को सस्पेंड करने पर महाजन ने कहा, मजबूरी में उठाया कड़ा कदम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 04:04 PM

mahajan said  sturdy step taken in compulsion

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में आज विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए व्यवहार पर दु:ख जताते हुए कहा कि उन्हें 6 सदस्यों के निलंबन का कदम मजबूरी में उठाना पड़ा।

नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में आज विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए व्यवहार पर दु:ख जताते हुए कहा कि उन्हें 6 सदस्यों के निलंबन का कदम मजबूरी में उठाना पड़ा। सदन में शून्यकाल के दौरान आज कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों के सदस्यों ने न सिर्फ हंगामा किया बल्कि कुछ सदस्यों ने कागज फाड़कर अध्यक्ष के आसन की तरफ भी फेंके जिसे अशोभनीय आचरण मानते हुए श्रीमती महाजन ने कांग्रेस के गौरव गोगोई, रंजीता रंजन, अधिरंजन चौधरी, एम.के. राघवन, सुष्मिता देव और के. सुरेश को पांच दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया।

बच्चों की तरह कागज उछाल रहे थे नेता
महाजन ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें मुख्य रूप से दो कारणों से कठोर कार्रवाई करनी पड़ी। पहला यह कि सदस्यों ने एक बार नहीं चार-चार बार कागज फाड़कर अध्यक्ष के आसन की तरफ उछाले। दूसरा यह कि उन्होंने सदन के कर्मचारियों की मेज पर से भी कागज छीनकर उन्हें फाड़कर फेंका जो बड़ा गुनाह हो सकता है।  उन्होंने कहा कि आज सदन में जिस प्रकार से हंगामा हुआ वह कहीं से भी अच्छा नहीं है। अध्यक्ष के आसन के पास आकर हंगामा करना तो गलत है ही। लेकिन, आज उन्होंने एक बार नहीं....चार-चार बार गेंद बनाकर बच्चों की तरह अध्यक्ष के आसन की तरफ उछाली। कल हम अपने स्कूल-कॉलेज के बच्चों को क्या कहेंगे। कर्मचारियों की मेज से कागज उठाकर फाड़े जाने के बारे में उन्होंने कहा कि देखा जाए तो ये सरकारी कागज हैं हमारे कार्यालय के कागज हैं और इन्हें छीनना और फाड़ना बहुत बड़ा गुनाह हो सकता है।

मजबूरी में लिया कड़ा फैसला
महाजन ने कहा कि उन्हें सदस्यों के व्यवहार से बहुत दु:ख पहुंचा है और मजबूरी में उन्हें निलंबन का कदम उठाना पड़ा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि रविवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने रात्रिभोज कार्यक्रम में एक बार फिर से कहा था कि सदन की कार्रवाई बाधित न होने दी जाए। उन्होंने कहा कि मैंने बोलने का मौका भी दिया। यह नियमों से संबंधित समिति द्वारा तय की गई बात थी कि प्रश्नकाल स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। मेरा भी यही सिद्धांत है। प्रश्नकाल में भी उन्होंने आसन के पास आकर हंगामा किया, नारेबाजी की...लेकिन मैंने पूरा प्रश्नकाल चलाया, और इसलिए चलाया कि रोज-रोज किसी न किसी विषय पर प्रश्नकाल या सदन की कार्रवाई स्थगित नहीं की जा सकती।

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