जल्लीकट्टू पर मार्कंडेय काटजू का बयान- जानवर कोई इंसान नहीं होते

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2017 03:40 PM

markandeya katju statement on jallikattu are no human animal

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलवाने के लिए तमिलनाडु सरकार एक अध्यादेश लेकर आई।

नई दिल्ली : तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलवाने के लिए तमिलनाडु सरकार एक अध्यादेश लेकर आई। मामले के स्थायी समाधान के लिए राज्य में कई जगहों पर जारी प्रदर्शनों के मद्देनजर विधानसभा में मौजूदा कानून में बदलाव कर पशु क्रूरता निवारण (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 प्रस्ताव पारित किया गया। पशु कल्याण के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं की एक अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। कार्यकर्ताओं का कहना था कि जल्लीकट्टू खेल के दौरान बैलों के साथ क्रूरता की जाती है।
 

भारत की परपंराओं का रखना चाहिए ख्याल : काटजू
नया कानून बनाकर जल्लीकट्टू को जारी रखना क्या जानवरों के साथ क्रूरता नहीं है? इस सवाल के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू कहते हैं कि भारत बड़ी विभिन्नताओं का देश है, अगर हमें इसे एकजुट रखना है तो भारत के सभी भागों की परपंराओं और भावनाओं का ख्याल रखना होगा। जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है जो सैंकड़ों सालों से चला आ रहा है। अगर इस खेल में कुछ क्रूरता होती है जैसे जानवर के आंख में मिर्ची रगडऩा, दुम काट देना या शराब पिलाना, तो इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए। वरना यह एक खेल है, इसमें क्या हर्ज है।

सरकार बदल सकती है कानून को
काटजू ने कहा कि जहां तक क्रूरता की बात है अगर आप मछली पकड़ते हैं तो उसमें भी क्रूरता है। काटजू ने कहा कि जानवर कोई इंसान तो होता नहीं है। आप जानवर को इंसान के बराबर नहीं मान सकते। हालांकि एक सवाल ये भी उठता है कि जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने काफी विचार विमर्श के बाद किसी आधार पर किया होगा। इस सवाल के जवाब में पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू कहते हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं बदल रही है। सरकार कानून को बदल रही है जो हमेशा बदला जा सकता है। 

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