Edited By ,Updated: 07 Jun, 2016 06:53 PM
भारत-बांग्लादेश सिलिगुडी पश्चिम बंगाल में सीमा पर सुरक्षा करते हुए शंकरलाल बाजिया 3 जून को शहीद हो गए।
सीकरः भारत-बांग्लादेश सिलिगुडी पश्चिम बंगाल में सीमा पर सुरक्षा करते हुए शंकरलाल बाजिया 3 जून को शहीद हो गए। सोमवार की सुबह जैसे ही उनका पार्थिव शरीर राजस्थान के सीकर के ठीकरिया गांव पहुंचा, अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहीद के शोक में पूरा बाजार बंद रहा। शहीद के बड़े बेटे विजय ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
अल्फा कंपनी के थे जवान
शंकरलाल अल्फा कंपनी के 50 अन्य जवानों के साथ 3 जून को सीमानगर से सीमा पर ड्यूटी करके रायगंज जा रहे थे। पेट्रोलिंग के दौरान बस से वापस लौटते समय शंकर की अचानक तबीयत खराब हो गई। रायगंज से कंपनी कमांडर गौरव ने शंकर को राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हुए।
पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल
शहीद को अंतिम विदाई देने उनकी पत्नी पतासी देवी भी मोक्ष धाम पहुंची। कंपनी के कमांडर एसआई सुरेशकुमार व बाजौर ने शहीद की पत्नी एवं बेटे को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा, जिसे हाथ में लेती ही वे राेने लगी। इसेक बाद उन्हाेंने बड़ा सम्मान से तिरंगे काे माथे से लगाया। इकलौते पुत्र होने के कारण शहीद शंकरलाल पर ही परिवार की संपूर्ण जिम्मेदारी थी। शंकर के दो बेटे विजय,राकेश एवं दो बेटियां विमला,सुमित्रा है दोनों पढ़ रहे है। दाेनाें बेटियां शादीशुदा है। पत्नी पतासी एवं मां प्रभाती का रो-रो कर बुरा हाल है।