खतरे में थी जाधव की जिंदगी, इसलिए अंतरराष्ट्रीय अदालत गया भारतः MEA

Edited By ,Updated: 10 May, 2017 03:22 PM

mea press conference on kulbhushan jadhav

विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत अधिकारी कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में जाने का निर्णय इसलिए किया

नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत अधिकारी कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में जाने का निर्णय इसलिए किया, क्योंकि उन्हें अवैध रूप से पाकिस्तान में हिरासत में रखा गया था और वहां उनका जीवन खतरे में था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने संवाददाताआें से कहा, ‘यह निर्णय सावधानीपूर्वक विचार विमर्श करके लिया गया था।’ कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर आईसीजे में जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने उच्चायोग संपर्क (काउंसलर एक्सेस) के लिए 16 बार अनुरोध किया लेकिन इसे इंकार कर दिया गया। हमने मौखिक और लिखित में कई बार जाधव मामले में चलाई गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी लेकिन पाकिस्तान की आेर से इस मामले के दस्तावेजों से जुड़ी हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।  

सुषमा ने 27 अप्रैल को लिखा था खत 
बागले ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत के आदेश के खिलाफ जाधव के परिवार की अपील की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जाधव मामले में भारत ने सावधानीपूर्वक चर्चा के बाद आईसीजे जाने का फैसला किया, क्योंकि वह अवैध रूप से पाकिस्तानी हिरासत में है और उसकी जिंदगी खतरे में है जिन्हें अपहृत कर वहां लाया गया है। उन्हें निष्पक्ष जांच का मौका भी नहीं दिया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 27 अप्रैल को पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज को एक खत लिखकर अनुरोध किया था कि जाधव के परिवार को वीजा दिया जाए। लेकिन उनके परिवार को अभी तक वीजा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीष साल्वे भारत की तरफ से इस मामले की वकालत कर रहे हैं। 

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