आतंकवाद की कमर टूट चुकी है, राजनीतिक पहल के लिए वक्त माकूल : सेना कमांडर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Sep, 2017 06:24 PM

militanci is in its last stage in kashmir says army

आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण कश्मीर में सेना के कमांडर का मानना है कि कश्मीर में सशस्त्र आतंकवाद की कमर टूट चुकी है और अब बहुत ज्यादा ‘राजनीतिक दूरंदेशी’ की जरूरत है ताकि दशकों पुरानी पृथकतावादी समस्या का स्थायी हल सुनिश्चित किया जा सके।

श्रीनगर  : आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण कश्मीर में सेना के कमांडर का मानना है कि कश्मीर में सशस्त्र आतंकवाद की कमर टूट चुकी है और अब बहुत ज्यादा ‘राजनीतिक दूरंदेशी’ की जरूरत है ताकि दशकों पुरानी पृथकतावादी समस्या का स्थायी हल सुनिश्चित किया जा सके। दक्षिण कश्मीर के पांच जिलों में उग्रवाद के खिलाफ अभियान चलाने वाली विक्टर फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल बी एस राजू ने एक साक्षात्कार में कहा कि अब ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां आतंकियों या पृथकतावादियों का प्रभाव हो। उग्रवादी अब अपने बचाव में लगे हैं।


उन्होंने कहा कि उनका पूरा ध्यान अब इस बात पर है कि उग्रवादी संगठनों में अब और नई भर्तियां न हों और लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया जाए कि सेना वहां उनकी मदद के लिए है। इस काम के लिए उनके सैनिकों ने स्कूलों और कालेजों में विभिन्न कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। श्रीनगर से 33 किलोमीटर के फासले पर अवंतीपुरा स्थित विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ राजू ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर लोग समाधान चाहते हैं। वह हिंसा के इस दुष्चक्र से निकलना चाहते हैं।
दक्षिण कश्मीर को जम्मू कश्मीर में उग्रवाद का केन्द्र माना जाता है और पिछले वर्ष यहां सुरक्षा बलों पर हमले की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई थीं। इस वर्ष तस्वीर बदली है और अकेले इस इलाके में ही अब तक 73 उग्रवादियों को ढेर कर दिया गया है। यह पिछले वर्षों के औसत आंकड़े से लगभग दुगुना है। यह माना जा रहा है कि तकरीबन 120 सशस्त्र उग्रवादी बचे हैं, ज्यादा से ज्यादा 150 भी हो सकते हैं।

अब की जा सकती है वार्ता
 इस वर्ष मार्च में कार्यभार संभालने वाले राजू कहते हैं कि इन दिनों वह सेना को सीधे निशाना नहीं बना रहे हैं। वह कभी कभार मुखबिर बताकर नागरिकों को निशाना बन रहे हैं।
राजू ने कहा कि हालात अब उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां राजनीतिक पहल की शुरूआत की जा सकती है, और यह देखकर अच्छा लग रहा है कि इस दिशा में प्रयास होने लगे हैं। उन्होंने हाल में केन्द्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं के कश्मीर के सभी पक्षों से बात करने की इच्छा जताने वाले बयानात का जिक्र करते हुए यह बात कही। अलगाववादी नेता मीरवायज उमर फारूक सहित कुछ अन्य ने भी केंद्र व राज्य की इस पहल का स्वागत किया है।

 

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